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Monday 5 December 2016

नाग वंश ( Naaga dynasty)

हम सभी लोगों ने कभी न कभी नाग वंश का नाम तो अवश्य ही सुना होगा परन्तु हम में से कितने लोग इसके पीछे की सच्चाई जानते है? अनुमानतः बहुत ही कम |
लोकोक्ति या किवदंतियों के अनुसार अगर आपको नाग वंश के बारे में जानना है तो इन्टरनेट पर काफी जानकारियां है एक लिंक मैं भी आपको देता हूँ.
इसके अलावा भी आपको कई जानकारियां मिल सकती हैं. परन्तु हम आपको दुनिया में मौजूद नाग  वंश तथा उनके वंशजों के बारे में बताते हैं.


                                                                                           7 मंदिर




पहली फोटो मंदिर के नीचे से.

मंदिर का दृश्य गोला नदी से.



नाग वंशी
नाग वंशी परिक्रमा लगाते हुए.

ये कुछ फोटो मैंने आपके साथ शेयर की हैं . अब मैं इन सबके बारे में आपको विस्तार से बताता हूँ.
कुछ समय पहले मैं उत्तराखंड में स्थित एक प्रशिद्ध हैडाखान मंदिर”  गया था. मैं वह नवरात्रों में गया था. मंदिर बहुत ही भव्य आनंद दायक शांति युक्त है | चारो ओर हरियाली है ये मंदिर भीमताल की सीमा में गोला नदी में किनारे स्थित है | यहाँ कई आश्रम तथा धर्मशालाएं है |
यहाँ जाने का रास्ता भी पहाड़ी तथा आनंददायी है प्रकृति प्रेमियों के लिए इसका मजा है कुछ और है | यहाँ आने के बाद  मैंने सभी मंदिर तथा आश्रम देखे सभी बहुत ही सुन्दर है नवरात्रियों में पूरा मंदिर विदेशियों से भरा हुआ था. मुझे ऐसा लग रहा था मानो में विदेश में हूँ परन्तु सभी विदेशियों ने भारतीय वस्त्र धारण किये थे जैसा की आप ऊपर दी हुयी फोटो में भी देख सकते हैं.
उनसे मुझे पता चला की नदी के पार सप्त मंदिर है जहा की आज हवन चल रहा है एक विदेशी ने मुझसे कहा ” you should go there and be a part of holy hawan” मतलब आपको वहाँ जाना चाहिए और पवित्र हवन का हिस्सा बनना चाहिए | ये सुनकर में स्तब्ध रह गया की कोई विदेशी मुझे हवन के बारे में बता रहा है?
मैं नदी पार करके प्रशाद और एक नारियल लेके वहाँ पर गया (मंदिर की फोटो मैंने ऊपर पोस्ट करी है ) नदी के एक किनारे ये मंदिर स्थित है बहुत ही शांति युक्त परिवेश है आम और कठहल के बड़े बड़े छायादार वृक्ष यहाँ के वातावरण को शुशोभित कर रहे थे. मेरा मन बहुत ही प्रसन्न था.
तत्पश्चात में भी हवन में बैठ गया मैंने देखा की सारा हवन विदेशी लोग ही कर रहे हैं भारतीय केवल कुछ ही पंडित हैं तब मेरे मन में बेचैनी हो गयी ये जानने की कि आखिर ये हो क्या और क्यों रहा है. पास बैठे एक भारतीय बाबाजी से मैंने इस हवन के बारे में पुछा तो जो उन्होंने मुझे बताया वो मैं आप सब को बता रहा हूँ.
बाबाजी
ये वो बाबाजी है जिन्होंने मुझे इस पूरे हवन और उसके पीछे की सच्चाई बताई थी.
पहले मैंने सोचा  की हैडाखान बाबाजी के विदेशी भक्त होंगे जो उनकी पूजा करने यहाँ आये हैं.
परन्तु मुझे बाबा ने कुछ और ही बताया जो इस प्रकार है.
“मैंने बोला :- बाबाजी नमस्कार |
बाबाजी :- नमस्कार बेटा |
मैंने बोला :- बाबाजी आज यहाँ ये क्या हो रहा है ?
बाबाजी:- हवन हो रहा है बेटा |
मैंने बोला:- पर बाबाजी हवन ये विदेशी लोग ही क्यू कर रहे है आखिर बात क्या है?
बाबाजी:- ये हवन नाग वंश के लोगों के बिना पूरा नहीं होता है ये जो विदेशी लोग है ये सब नाग वंश के वंशज है इनको हर साल नवरात्रियों में यहाँ बुलाया जाता है यज्ञ संपन्न करने के लिए |
ये सुनकर तो मैं बिलकुल ही स्तब्ध था पहले में सोचता था की नाग वंश कोई सापों का वंश होगा परन्तु ये सब देख कर मुझे समझ आया की नाग वंश के लोग भी हमारी तरह ही होते है |🙂
इस बारे में मेरी बाबाजी से काफी चर्चा हुयी फिर उसके पश्चात वह एक भव्य भंडारा हुआ जहाँ मैंने भोजन किया.
उसके बाद कुछ विदेशी लोग “ॐ जय हैडाखान की” बोलने लगे | में चुप था तो एक विदेशी आया और मेरे से बोलने लगा की “बोलो ॐ जय हैडाखान की” मैंने बोला “ॐ जय शांति” उसने मुझे फिर टोका और बोला “no say ॐ जय हैडाखान की” |
तब मुझे समझ में आया और मैंने बोला “ॐ जय हैडाखान की”
और मैं मन ही मन हस रहा था की ये विदेशी लोग अब हमें सिखा रहे हैं.🙂
ये सारी घटना बिलकुल सत्य है परन्तु मैं यह नहीं कह सकता की बाबाजी ने मुझे जो कुछ भी बताया वो बिलकुल सत्य हो परन्तु उनकी बातो से मुझे यही लग रहा था की ये सारी बातें सत्य हैं.
यहाँ से सम्बंधित सभी फोटो मेरे पास सुरक्षित है और इनपर पूर्ण रूप से मेरा अधिकार है.
यदि आपको इस संबध में कुछ पूछना हो या अपने सुझाव देने हों या आपको इसबारे में कुछ मुझसे भी ज्यादा पता हो तो आप कमेंट कर सकते है . मुझे बहुत ही ख़ुशी होगी.
धन्यवाद्.

Sunday 4 December 2016

सतयुग में पृथ्वी पर श्री हनुमान जन्म का अदभुत रहस्य



श्री व्यास जी ने राजा परीक्षित से कहा:–

परीक्षित होनी तो होके रहती है, इसे कोई बदल नही सकता। आज मैं तुम्हे उस रहस्य को बताता हूँ, जो दुर्लभ है।
एक समय सृष्टि से जल तत्व अदृश्य हो गया ।सृष्टि में त्राहि-त्राहि मच गयीऔर जीवन का अंत होने लगा तब व्रम्हा जी विष्णु जी ऋषि गण तथा देवता मिलकर श्री शिव जी के शरण में गए और शिव जी से प्रार्थना की और बोले नाथों के नाथ आदिनाथ अब इस समस्या से आप ही निपटें । श्रृष्टि में पुन: जल तत्व कैसे आयेगा ।
देवों की विनती सुन कर भोलेनाथ ने ग्यारहों रुद्रों को बुलाकर पूछा आप में से कोई ऐसा है जो सृष्टि को पुनः जल तत्व प्रदान कर सके । दस रूदों ने इनकार कर दिया । ग्यारहवाँ रुद्र जिसका नाम हर था उसने कहा मेरे करतल में जल तत्व का पूर्ण निवास है ।
मैं श्रृष्टि को पुन: जल तत्व प्रदान करूँगा लेकिन इसके लिए मूझे अपना शरीर गलाना पडेगा और शरीर गलने के बाद इस श्रृष्टि से मेरा नामो निशान मिट जायेगा ।
तब भगवान शिव ने हर रूपी रूद्र को वरदान दिया और कहा:–
इस रूद्र रूपी शरीर के गलने के बाद तुम्हे नया शरीर और नया नाम प्राप्त होगा और मैं सम्पूर्ण रूप से तुम्हारे उस नये तन में निवास करूंगा जो श्रृष्टि के कल्याण हेतू होगा।
हर नामक रूद्र ने अपने शरीर को गलाकर श्रृष्टि को जल तत्व प्रदान किया ।और उसी जल से एक महाबली वानर की उत्पत्ति हुई। जिसे हम हनुमान जी के नाम से जानते हैं ।
यह घटना सतयुग के चौथे चरण में घटी । शिवजी ने हनुमान जी को राम नाम का रसायन प्रदान किया।
हनुमान जी ने राम नाम का जप प्रारम्भ किया । त्रेतायुग में अन्जना और केशरी के यहाँ पुत्र रूप में अवतरित हुए ।
इस लिए बाबा तुलसी दास जी ने हनुमान चालीसा में कहा है:—
शंकर स्वयं केशरी नन्दन
तेज प्रताप महा जग बन्दन
*****
दोहा
तीन लोक चौदह भुवन कर धारे बलवान ।
राम काज हित प्रगट भे बीर बली हनुमान।
चौपाई
अजय शरण तुम्हरे हनुमंता ।
नहि देखा तुम सम कोउ संता ।।
कृपा करहु मो पर बलधारी ।
भवं भवानी हर तिरपुरारी ।।
दोहा

राम नाम की है सपथ ये श्रृष्टी के नाथ ।
परम् ज्ञान मोहि दीजिए साक्षी श्री रघुनाथ
*****
जय सियाराम
जय हनुमान
source- internet

Thursday 1 December 2016

मनुष्य की प्रत्येक समस्या इन टोने- टोटकों से दूर हो सकती है


तंत्र की किताबों में लिखे हैं ये 5 टोटके, कुछ ही घंटों में दिखता है असर
कई बार जीवन में ऐसी समस्याएं आती हैं जो आसानी से दूर नहीं होती लेकिन एक मामूली टोटके से तुरंत ही आराम मिल जाता है। तांत्रिकों के अनुसार मनुष्य की प्रत्येक समस्या इन टोने- टोटकों से दूर हो सकती है बशर्ते सही ढंग से और सही समय पर किया जाए। आपके लिए यहां प्रस्तुत हैं कुछ ऎसे ही टोटके जिनसे आप न केवल धनी और सफल बन सकते हैं वरन अपने  प्रेमी, पति-पत्नी को भी वश में कर सकते हैं।


ऐसे दूर करें पति-पत्नी के झगड़ें

रात में सोते समय पत्नी के पलंग पर देसी कपूर तथा पति के पलंग पर कामिया सिंदूर रखना चाहिए। अगले दिन सुबह सूर्योदय के समय पति को देसी कपूर जला देना चाहिए तथा पत्नी को सिंदूर को घर में फैला देना चाहिए। यह एक तीव्र तांत्रिक उपाय है, इससे कुछ ही दिनों में पति-पत्नी का आपसी झगड़ा पूरी तरह खत्म हो जाता है।

यदि पति-पत्नी के संबंध तलाक तक पहुंच गए हों

बरगद का हरा पत्ता लेकर उस पर लाल चंदन को गंगा जल में घिसकर संबंधित व्यक्ति का नाम लिखें। इसके बाद पत्ते पर लाल गुलाब की पत्तियां रख दें और इन सबको बारीक पीस लें। जिस व्यक्ति का नाम लिखा है, उसके नाम में जितने अक्षर हैं, इस बारीक बुरादे की उतनी ही गोलियां बना लें। रोजाना एक गोली नियम से उस व्यक्ति/ महिला के घर के मेन गेट पर फेंक दें। जल्दी ही दोनों के बीच विछोह दूर होकर आपसी संबंध अनुकूल होंगे तथा वापिस मिलन होगा।

सभी को वश में करने तथा उन पर राज करने के लिए

सफेद आंकड़े के फूल को छाया में सुखा लें। इसके बाद कपिला गाय यानी सफेद गाय के दूध में मिलाकर इसे पीस लें और इसका तिलक लगाएं। ऐसा करने पर व्यक्ति का समाज में वर्चस्व हो जाता है।

अगर बॉस या व्यापारिक दुश्मन परेशान करता है

एक सफेद रंग का आधा मीटर कपड़ा लें। उस पर काजल से उस व्यक्ति का नाम केवल तर्जनी उंगली से ही लिखें। इसके बाद उस व्यक्ति के नाम में जितने अक्षर हों, उस पर उतनी ही बार थूकने से तुरंत आराम आ जाएगा।

हनुमानजी को प्रसन्न करने के लिए

अगर भगवान को पूरी तरह खुश करना चाहते हैं तो अपनी ऊंचाई के अनुसार नाल को गांठ बांधकर नारियल पर लपेटकर उस पर केसर या सिंदूर से स्वातिक बनाकर हनुमान चालीसा पढ़कर हनुमान जी को चढाएं।

स्रोत : इन्टरनेट 

36 types of Hell According to Garuda Purana


गरुड़ पुराण में वर्णन है 36 नर्क का, जानिए किसमें कैसे दी जाती है सजा

हिंदू धर्म ग्रंथों में लिखी अनेक कथाओं में स्वर्ग और नर्क के बारे में बताया गया है। पुराणों के अनुसार स्वर्ग वह स्थान होता है जहां देवता रहते हैं और अच्छे कर्म करने वाले इंसान की आत्मा को भी वहां स्थान मिलता है, इसके विपरीत बुरे काम करने वाले लोगों को नर्क भेजा जाता है, जहां उन्हें सजा के तौर पर गर्म तेल में तला जाता है और अंगारों पर सुलाया जाता है।
हिंदू धर्म के पौराणिक ग्रंथों में 36 तरह के मुख्य नर्कों का वर्णन किया गया है। अलग-अलग कर्मों के लिए इन नर्कों में सजा का प्रावधान भी माना गया है। गरूड़ पुराण, अग्रिपुराण, कठोपनिषद जैसे प्रामाणिक ग्रंथों में इसका उल्लेख मिलता है। आज हम आपको उन नर्कों के बारे में संक्षिप्त रूप से बता रहे हैं-

1. महावीचि- यह नर्क पूरी तरह रक्त यानी खून से भरा है और इसमें लोहे के बड़े-बड़े कांटे हैं। जो लोग गाय की हत्या करते हैं, उन्हें इस नर्क में यातना भुगतनी पड़ती है।
2. कुंभीपाक- इस नर्क की जमीन गरम बालू और अंगारों से भरी है। जो लोग किसी की भूमि हड़पते हैं या ब्राह्मण की हत्या करते हैं। उन्हें इस नर्क में आना पड़ता है।
3. रौरव- यहां लोहे के जलते हुए तीर होते हैं। जो लोग झूठी गवाही देते हैं उन्हें इन तीरों से बींधा जाता है।
4. मंजूष- यह जलते हुए लोहे जैसी धरती वाला नर्क है। यहां उनको सजा मिलती है, जो दूसरों को निरपराध बंदी बनाते हैं या कैद में रखते हैं।
5. अप्रतिष्ठ- यह पीब, मूत्र और उल्टी से भरा नर्क है। यहां वे लोग यातना पाते हैं, जो ब्राह्मणों को पीड़ा देते हैं या सताते हैं।
6. विलेपक- यह लाख की आग से जलने वाला नर्क है। यहां उन ब्राह्मणों को जलाया जाता है, जो शराब पीते हैं।
7. महाप्रभ- इस नर्क में एक बहुत बड़ा लोहे का नुकीला तीर है। जो लोग पति-पत्नी में फूट डालते हैं, पति-पत्नी के रिश्ते तुड़वाते हैं वे यहां इस तीर में पिरोए जाते हैं।
8. जयंती- यहां जीवात्माओं को लोहे की बड़ी चट्टान के नीचे दबाकर सजा दी जाती है। जो लोग पराई औरतों के साथ संभोग करते हैं, वे यहां लाए जाते हैं।
9. शाल्मलि- यह जलते हुए कांटों से भरा नर्क है। जो औरत कई पुरुषों से संभोग करती है व जो व्यक्ति हमेशा झूठ व कड़वा बोलता है, दूसरों के धन और स्त्री पर नजर डालता है। पुत्रवधू, पुत्री, बहन आदि से शारीरिक संबंध बनाता है व वृद्ध की हत्या करता है, ऐसे लोगों को यहां लाया जाता है।
10. महारौरव- इस नर्क में चारों तरफ आग ही आग होती है। जैसे किसी भट्टी में होती है। जो लोग दूसरों के घर, खेत, खलिहान या गोदाम में आग लगाते हैं, उन्हें यहां जलाया जाता है।
11. तामिस्र- इस नर्क में लोहे की पट्टियों और मुग्दरों से पिटाई की जाती है। यहां चोरों को यातना मिलती है।
12. महातामिस्र- इस नर्क में जौंके भरी हुई हैं, जो इंसान का रक्त चूसती हैं। माता, पिता और मित्र की हत्या करने वाले को इस नर्क में जाना पड़ता है।
13. असिपत्रवन- यह नर्क एक जंगल की तरह है, जिसके पेड़ों पर पत्तों की जगह तीखी तलवारें और खड्ग हैं। मित्रों से दगा करने वाला इंसान इस नर्क में गिराया जाता है।
14. करम्भ बालुका- यह नर्क एक कुएं की तरह है, जिसमें गर्म बालू रेत और अंगारे भरे हुए हैं। जो लोग दूसरे जीवों को जलाते हैं, वे इस कुएं में गिराए जाते हैं।
15. काकोल- यह पीब और कीड़ों से भरा नर्क है। जो लोग छुप-छुप कर अकेले ही मिठाई खाते हैं, दूसरों को नहीं देते, वे इस नर्क में लाए जाते हैं।
16. कुड्मल- यह मूत्र, पीब और विष्ठा (उल्टी) से भरा है। जो लोग दैनिक जीवन में पंचयज्ञों ( ब्रह्मयज्ञ, देवयज्ञ, भूतयज्ञ, पितृयज्ञ, मनुष्य यज्ञ) का अनुष्ठान नहीं करते वे इस नर्क में आते हैं।
17. महाभीम- यह नर्क बदबूदार मांस और रक्त से भरा है। जो लोग ऐसी चीजें खाते हैं, जिनका शास्त्रों ने निषेध बताया है, वो लोग इस नर्क में गिरते हैं।
18. महावट- इस नर्क में मुर्दे और कीड़े भरे हैं, जो लोग अपनी लड़कियों को बेचते हैं, वे यहां लाए जाते हैं।
19. तिलपाक- यहां दूसरों को सताने, पीड़ा देने वाले लोगों को तिल की तरह पेरा जाता है। जैसे तिल का तेल निकाला जाता है, ठीक उसी तरह।
20. तैलपाक- इस नर्क में खौलता हुआ तेल भरा है। जो लोग मित्रों या शरणागतों की हत्या करते हैं, वे यहां इस तेल में तले जाते हैं।
21. वज्रकपाट- यहां वज्रों की पूरी श्रंखला बनी है। जो लोग दूध बेचने का व्यवसाय करते हैं, वे यहां प्रताड़ना पाते हैं।
22. निरुच्छवास- इस नर्क में अंधेरा है, यहां वायु नहीं होती। जो लोग दिए जा रहे दान में विघ्न डालते हैं वे यहां फेंके जाते हैं।
23. अंगारोपच्य- यह नर्क अंगारों से भरा है। जो लोग दान देने का वादा करके भी दान देने से मुकर जाते हैं। वे यहां जलाए जाते हैं।
24. महापायी- यह नर्क हर तरह की गंदगी से भरा है। हमेशा असत्य बोलने वाले यहां औंधे मुंह गिराए जाते हैं।
25. महाज्वाल- इस नर्क में हर तरफ आग है। जो लोग हमेशा ही पाप में लगे रहते हैं वे इसमें जलाए जाते हैं।
26. गुड़पाक- यहां चारों ओर गरम गुड़ के कुंड हैं। जो लोग समाज में वर्ण संकरता फैलाते हैं, वे इस गुड़ में पकाए जाते हैं।
27. क्रकच- इस नर्क में तीखे आरे लगे हैं। जो लोग ऐसी महिलाओं से संभोग करते हैं, जिसके लिए शास्त्रों ने निषेध किया है, वे लोग इन्हीं आरों से चीरे जाते हैं।
28. क्षुरधार- यह नर्क तीखे उस्तरों से भरा है। ब्राह्मणों की भूमि हड़पने वाले यहां काटे जाते हैं।
29. अम्बरीष- यहां प्रलय अग्रि के समान आग जलती है। जो लोग सोने की चोरी करते हैं, वे इस आग में जलाए जाते हैं।
30. वज्रकुठार- यह नर्क वज्रों से भरा है। जो लोग पेड़ काटते हैं वे यहां लंबे समय तक वज्रों से पीटे जाते हैं।
31. परिताप- यह नर्क भी आग से जल रहा है। जो लोग दूसरों को जहर देते हैं या मधु (शहद) की चोरी करते हैं, वे यहां जलाए जाते हैं।
32. काल सूत्र- यह वज्र के समान सूत से बना है। जो लोग दूसरों की खेती नष्ट करते हैं। वे यहां सजा पाते हैं।
33. कश्मल- यह नर्क नाक और मुंह की गंदगी से भरा होता है। जो लोग मांसाहार में ज्यादा रुचि रखते हैं, वे यहां गिराए जाते हैं।
34. उग्रगंध- यह लार, मूत्र, विष्ठा और अन्य गंदगियों से भरा नर्क है। जो लोग पितरों को पिंडदान नहीं करते, वे यहां लाए जाते हैं।
35. दुर्धर- यह नर्क जौक और बिच्छुओं से भरा है। सूदखोर और ब्याज का धंधा करने वाले इस नर्क में भेजे जाते हैं।
36. वज्रमहापीड- यहां लोहे के भारी वज्र से मारा जाता है। जो लोग सोने की चोरी करते हैं, किसी प्राणी की हत्या कर उसे खाते हैं, दूसरों के आसन, शय्या और वस्त्र चुराते हैं, जो दूसरों के फल चुराते हैं, धर्म को नहीं मानते ऐसे सारे लोग यहां लाए जाते हैं।
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खून की कमी दूर करने में असरदार हैं ये घरेलू तरीके

  खून की कमी दूर करने में असरदार हैं ये घरेलू तरीके

अक्सर थकान, कमजोरी रहना, त्वचा का रंग पीला पड़ जाना, हाथ-पैरों में सूजन आदि एनीमिया के लक्षण हैं। इस समस्या से पुरुषों की अपेक्षा महिलाएं ज्यादा परेशान रहती हैं। जिन लोगों के खून में हीमोग्लोबिन की मात्रा बहुत कम हो जाती है, वो लोग एनीमिया के शिकार हो जाते हैं।
एनीमिया के रोगी को लौह तत्व, विटामिन बी, फोलिक एसिड की कमी होती है। कभी-कभी अनुवांशिक कारणों से भी यह रोग हो सकता है। यदि आपके शरीर में भी खून की कमी है तो अपने आहार पर खास ध्यान दें। चलिए, जानते हैं किन चीजों को खाने से खून बढ़ जाता है और एनीमिया दूर हो जाता है।

- एक गिलास सेब का जूस लें। उसमें एक गिलास चुकंदर का रस और स्वादानुसार शहद मिलाएं। इसे रोजाना पिएं। इस जूस में लौह तत्व अधिक मात्रा में होता है।

- 2 चम्मच तिल 2 घंटों के लिए पानी में भिगो दें। पानी छान कर तिल को पीसकर पेस्ट बना लें। इसमें 1 चम्मच शहद मिलाएं और दिन में दो बार इसे खाएं।

पके हुए आम के गूदे को अगर मीठे दूध के साथ लिया जाए तो आपका खून बढ़ जाता है।

- दिन में दो बार ठंडे पानी से नहाएं। सुबह के समय सूरज की रोशनी में बैठें।

- चाय और कॉफी पीना थोड़ा कम कर दें, क्योंकि यह शरीर को आयरन सोखने से रोकता है।

- अनंतमूल, दालचीनी और सौंफ की समान मात्रा लेकर चाय बनाकर पिएं। दिन में एक बार लें। खून की कमी दूर हो जाएगी।

- भुट्टे एनीमिया के रोगियों के लिए पौष्टिक होते हैं। इन्हें सेंककर खाने से इसके दाने बड़े स्वादिष्ट लगते हैं। मक्के के दाने उबाल कर खाने से खून बढ़ता है।

- मूंगफली के दाने गुड़ के साथ चबा-चबा कर खाएं।

- शरपुंखा की पत्तियों और फलियों से लगभग 20 मिली रस में 2 चम्मच शहद मिला लें। इस मिश्रण को सुबह-शाम लें। इससे खून साफ होता है और बढ़ता है।

- खून बढ़ाने वाले आहार गेहूं, चना, मोठ, मूंग को अंकुरित कर नींबू मिलाकर सुबह नाश्ते में खाएं।

- सितोपलादि चूर्ण 50 ग्राम, आमल की रसायन 50 ग्राम, अश्वगंधा सत्व 50 ग्राम, शतावर चूर्ण 10 ग्राम, सिद्धमकर ध्वज 5 ग्राम, लौहभस्म 100 पुटी 10 ग्राम, अष्ट वर्ग चूर्ण 25 ग्राम, शहद 300 ग्राम। इस योग को 5 से 10 ग्राम मात्रा में सुबह-शाम चाटकर मीठा दूध पिएंं। इसके सेवन से खून बढ़ता है।

- नमक और लहसुन का नियमित सेवन खाने के साथ चटनी के रूप में करें। हीमोग्लोबिन की कमी दूर हो जाती है।

फालसा खाने से खून बढ़ता है। फालसे के फल या शर्बत को सुबह-शाम लेने से बहुत जल्दी आराम मिलता है।

- हंसपदी के पौधे का चूर्ण बनाकर शहद के साथ उपयोग करने से खून की शुद्धि होती है और शरीर में साफ खून प्रवाहित होने लगता है। इस चूर्ण को शहद के साथ चाटने या पानी के साथ लेने से खून में वृद्धि होती है और एनीमिया की शिकायत भी दूर हो जाती है।

- पालक, सरसों, बथुआ, मटर, मेथी, हरा धनिया, पुदीना और टमाटर अपने भोजन में जरूर शामिल करें।

- जामुन और आंवले का रस समान मात्रा में मिलाकर पीने से शरीर में हीमोग्लोबिन का स्तर बढ़ता है। खून की कमी नहीं होती है।

- रोजाना एक गिलास टमाटर का रस पीने से भी खून की कमी दूर होती है। टमाटर का सूप भी बनाकर पीया जा सकता है।

- सिंघाड़ा शरीर को शक्ति प्रदान करता है और खून बढ़ाता है। इसमें कई महत्वपूर्ण पोषक तत्व पाए जाते हैं। कच्चे सिंघाड़े का सेवन करने से शरीर में हीमोग्लोबिन की मात्रा तेजी से बढ़ती है।

- पपीता, अंगूर, अमरूद, केला, सेब, चीकू और नींबू का सेवन करें।

-अनाज, दालें, मुनक्का, किशमिश और गाजर का सेवन करें। साथ ही, रात में सोने से पहले पिंड खजूर दूध के साथ लें।

- रोजाना नियमित रूप से एलोवेरा जूस का सेवन करें। नाश्ते से 30 मिनट पहले 30 एमएल एलोवेरा जूस दिन में रोजाना लें।

एनीमिया के रोगियों के लिए बॉडी मसाज और योग बहुत लाभदायक होता है। सूर्यनमस्कार, सर्वांगआसन, शवासन और पश्चिमोत्तानासन करने से पूरे शरीर में खून का प्रवाह बढ़ जाता है। इसके अलावा, गहरी सांस लेना और प्राणायाम करना भी लाभदायक होता है।

- रोजाना एक गिलास अनार का रस पीने से हीमोग्लोबिन बढ़ता है।

- लौकी का जूस बनाकर पीने से भी खून बढ़ता है।

- मुनक्का को रात में पानी भिगो दें। सुबह पानी को पी लें और मुनक्का चबाकर खा लें। कुछ ही दिनों में हीमोग्लोबिन सामान्य हो जाएगा।

- ये घरेलू नुस्खे पूरी तरह से आयुर्वेद पर आधारित हैं। ये पूरी तरह से प्राकृतिक, नुकसान ना पहुंचाने वाले और आसानी से घर में बनाए जा सकने वाले हैं। अगर आपको लगे कि इसे लेने से आपको कोई नुकसान हो रहा है, तो डॉक्टर से परामर्श करें । 

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गरुड़ पुराण- कब दूर रहें पत्नी से और कब करें गर्भाधान, ताकि प्राप्त हो योग्य संतान


सभी माता-पिता चाहते हैं कि उनकी संतान उत्तम गुणों से पूर्ण हो और उसमें वह सभी गुण हों जो आगे जाकर उस संतान के उज्जवल भविष्य के लिए जरूरी होना चाहिए, लेकिन दुर्भाग्यवश हर माता-पिता का ये सपना पूरा नहीं हो पाता। गरूड पुराण में उत्तम संतान की प्राप्ति के लिए भगवान विष्णु ने बहुत सी गोपनीय बातें बताई हैं। इस पुराण में ये भी लिखा है कि पति को किस समय पत्नी से दूर रहना चाहिए और उत्तम संतान की प्राप्ति के लिए किस समय गर्भाधान करना चाहिए।
ऋतुकाल में चार दिन तक स्त्री का त्याग करें क्योंकि चौथे दिन स्त्रियां स्नानकर शुद्ध होती हैं और सात दिन में पितृदेव व व्रतार्चन (पूजन आदि करने) योग्य होती है। सात दिन के मध्य में जो गर्भाधान होता है व अच्छा नहीं माना जाता।
गरूड पुराण के अनुसार आठ रात के बाद पत्नी मिलन से उत्तम संतान की प्राप्ति होती है। युग्म दिन ( जैसे- अष्टमी, दशमी, द्वादशी आदि) में पुत्र व अयुग्म (नवमी, एकादशी, त्रयोदशी आदि) में कन्या उत्पन्न होती है इसलिए सात दिन छोड़कर गर्भाधान करें।
सोलह रात तक स्त्रियों का सामान्यत: ऋतुकाल रहता है, उसमें भी चौदहवीं रात में जो गर्भाधान होता है, उससे गुणवान, भाग्यवान, धर्मज्ञ व बुद्धिमान संतान की प्राप्ति होती है। वह रात्रि अभागे पुरुषों को कभी नहीं मिलती।
संतान चाहने वाले पुरूष को पान, फूल, चंदन और पवित्र वस्त्र धारण कर धर्म का स्मरण करते हुए पत्नी के पास जाना चाहिए। गर्भाधान के समय जैसी मनुष्य के मन की प्रवृत्ति होती है, वैसे ही स्वभाव का जीव पत्नी के गर्भ में प्रवेश करता है।
गरुड़ पुराण के अनुसार क्या सोचता है शिशु गर्भ में-
गरुड़ पुराण में गर्भ में शिशु की स्थापना से लेकर उसके बाहर आने तक वो क्या क्या करता है क्या क्या सोचता है इसके बारे में भी विस्तारपूर्वक बता रखा है।  जो इस प्रकार है –
एक रात्रि का जीव कोद (सुक्ष्म कण), पांच रात्रि का जीव बुद्बुद् (बुलबुले) के समान तथा दस दिन का जीवन बदरीफल(बेर) के समान होता है। इसके बाद वह एक मांस के पिण्ड का आकार लेता हुआ अंडे के समान हो जाता है।
एक महीने में मस्तक, दूसरे महीने में हाथ आदि अंगों की रचना होती है। तीसरे महीने में नाखून, रोम, हड्डी, लिंग, नाक, कान, मुंह आदि अंग बन जाते हैं। चौथे महीने में त्वचा, मांस, रक्त, मेद, मज्जा का निर्माण होता है। पांचवे महीने में शिशु को भूख-प्यास लगने लगती है। छठे महीने में शिशु गर्भ की झिल्ली से ढंककर माता के गर्भ में घुमने लगता है।
माता द्वारा खाए गए अन्न आदि से बढ़ता हुआ वह शिशु विष्ठा, मूत्र आदि का स्थान तथा जहां अनेक जीवों की उत्पत्ति होती है, ऐसे स्थान पर सोता है। वहां कृमि जीव के काटने से उसके सभी अंग कष्ट पाते हैं।
इसके बाद शिशु का मस्तक नीचे की ओर तथा पैर ऊपर की ओर हो जाते हैं, वह इधर-उधर हिल नहीं सकता। यहां शिशु सात धातुओं से बंधा हुआ भयभीत होकर हाथ जोड़ ईश्वर की(जिसने उसे गर्भ में स्थापित किया है) स्तुति करने लगता है।
सांतवे महीने में उसे ज्ञान प्राप्ति होती है और वह सोचता है- मैं इस गर्भ से बाहर जाऊँगा तो ईश्वर को भूल जाऊँगा। ऐसा सोचकर वह दु:खी होता है और इधर-उधर घुमने लगता है। सातवे महीने में शिशु अत्यंत दु:ख से वैराग्ययुक्त हो ईश्वर की स्तुति इस प्रकार करता है- लक्ष्मी के पति, जगदाधार, संसार को पालने वाले और जो तेरी शरण आए उनका पालन करने वाले भगवान विष्णु का मैं शरणागत होता हूं।
गर्भस्थ शिशु भगवान विष्णु का स्मरण करता हुआ सोचता है कि हे भगवन्। तुम्हारी माया से मैं मोहित देहादि में और यह मेरे ऐसा अभिमान कर जन्म मरण को प्राप्त होता हूं। मैंने परिवार के लिए शुभ काम किए, वे लोग तो खा-पीकर चले गए। मैं अकेला दु:ख भोग रहा हूं। हे भगवन्। इस योनि से अलग हो तुम्हारे चरणों का स्मरण कर फिर ऐसे उपाय करूंगा, जिससे मैं मुक्ति को प्राप्त कर सकूं।
फिर गर्भस्थ शिशु सोचता है मैं इस गर्भ से अलग होने की इच्छा करता हूं, हे भगवन्। मुझे कब बाहर निकालोगे। सभी पर दया करने वाले ईश्वर ने मुझे ये ज्ञान दिया है, उस ईश्वर की मैं शरण में जाता हूं, इसलिए मेरा पुन: जन्म-मरण होना उचित नहीं है।
गरूड पुराण के अनुसार फिर माता के गर्भ में पल रहा शिशु भगवान से कहता है कि मैं इस गर्भ से अलग होने की इच्छा नहीं करता क्योंकि बाहर जाने से पापकर्म करने पड़ते हैं, जिससे नरकादि प्राप्त होते हैं। इस कारण बड़े दु:ख से व्याप्त हूँ फिर भी दु:ख रहित हो आपके चरण का आश्रय लेकर मैं आत्मा का संसार से उद्धार करूंगा।
इस प्रकार गर्भ में बुद्धि विचार कर शिशु दस महीने तक स्तुति करता हुआ नीचे मुख से प्रसूति के समय वायु से तत्काल बाहर निकलता है। प्रसूति की हवा से उसी समय शिशु श्वास लेने लगता है तथा अब उसे किसी बात का ज्ञान भी नहीं रहता। गर्भ से अलग होकर वह ज्ञान रहित हो जाता है, इसी कारण जन्म के समय वह रोता है।
गरूड पुराण के अनुसार जिस प्रकार बुद्धि गर्भ में, रोगादि में, श्मशान में, पुराण आदि सुनने में रहती है, वैसी बुद्धि सदा रहे तब इस संसार के बंधन से कौन हीं छूट सकता। जिस समय शिशु कर्म योग द्वारा गर्भ से बाहर आता है उस समय भगवान विष्णु की माया से वह मोहित हो जाता है।
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Monday 28 November 2016

शुक्र गृह मजबूत करें सौंफ के सेवन से ( strengthen your venus planet using fennel)


 शुक्र गृह मजबूत करें सौंफ के सेवन से 

सौंफ हम रोज़ तो इस्तेमाल करते है , पर क्या आपको पता है की सौंफ के सेवन से आपका शुक्र गृह मजबूत होता है , साथ में सौंफ में Calcium भी होता है जिससे आपकी हड्डियों को फायदा होता है , और अगर आप Acidity या खाने के बाद जी मिचलाने की शिकायत से झूझ रहे है तो सौंफ रामबाण है आपके लिए , खाने के बाद 1 बड़ा चमच सौंफ या तो मिस्री के साथ ले या मिस्री के बिना भी ले सेकते है , Acidity की समस्या धीरे धीरे कम होने लगेगी , सौंफ को गुड के साथ सेवन करें जब आप घर से किसी काम के लिए निकाल रहे हो , इससे आपका मंगल गृह आपका काम पूरा करने में साथ देता है |

 दालचीनी : अगर किसी का मंगल और शुक्र कुपित है , तो थोड़ी सी दालचीनी को शहद में मिलाकर ताज़े पानी के साथ ले , इससे आपकी शरीर में शक्ति बढ़ेगी और सर्दियों में कफ की समस्या कम परेशान करती है |


 काली मिर्च : काली मिर्च के सेवन से हमारा शुक्र और चंद्रमा अच्छा होता है , इसके सेवन से कफ की समस्या कम होती है और हमारी स्मरण शक्ति भी बढ़ती है , तांबे के किसी बर्तन में काली मिर्च डालकर dining table पर रखने से घर को नज़र नहीं लगती |

सौंफ के लाभ

सौंफ में कई औषधीय गुण मौजूद होते हैं, जिनका सेवन करने से स्वास्‍थ्‍य को फायदा होता है। सौंफ हर उम्र के लोगों के लिए फायदेमंद होती है। सौंफ में कैल्शियम, सोडियम, आयरन, पोटैशियम जैसे तत्व पाये जाते हैं। सौंफ का फल बीज के रूप में होता है और इसके बीज को प्रयोग किया जाता है। पेट की समस्याओं के लिए सौंफ बहुत फायदेमंद होता है। आइए जानते हैं सौंफ खाना स्वास्‍थ्‍य के लिए कितना फायदेमंद हो सकता है।

सौंफ खाने से पेट और कब्ज की शिकायत नहीं होती। सौंफ को मिश्री या चीनी के साथ पीसकर चूर्ण बना लीजिए, रात को सोते वक्त लगभग 5 ग्राम चूर्ण को हल्केस गुनगने पानी के साथ सेवन कीजिए। पेट की समस्या नहीं होगी व गैस व कब्ज दूर होगा।

आंखों की रोशनी सौंफ का सेवन करके बढ़ाया जा सकता है। सौंफ और मिश्री समान भाग लेकर पीस लें। इसकी एक चम्मच मात्रा सुबह-शाम पानी के साथ दो माह तक लीजिए। इससे आंखों की रोशनी बढती है।

डायरिया होने पर सौंफ खाना चाहिए। सौंफ को बेल के गूदे के साथ सुबह-शाम चबाने से अजीर्ण समाप्त होता है और अतिसार में फायदा होता है।

खाने के बाद सौंफ का सेवन करने से खाना अच्छे से पचता है। सौंफ, जीरा व काला नमक मिलाकर चूर्ण बना लीजिए। खाने के बाद हल्के गुनगुने पानी के साथ इस चूर्ण को लीजिए, यह उत्तम पाचक चूर्ण है।

खांसी होने पर सौंफ बहुत फायदा करता है। सौंफ के 10 ग्राम अर्क को शहद में मिलाकर लीजिए, इससे खांसी आना बंद हो जाएगा।

यदि आपको पेट में दर्द होता है तो भुनी हुई सौंफ चबाइए इससे आपको आराम मिलेगा। सौंफ की ठंडाई बनाकर पीजिए। इससे गर्मी शांत होगी और जी मिचलाना बंद हो जाएगा।

यदि आपको खट्टी डकारें आ रही हों तो थोड़ी सी सौंफ पानी में उबालकर मिश्री डालकर पीजिए। दो-तीन बार प्रयोग करने से आराम मिल जाएगा।

हाथ-पांव में जलन होने की शिकायत होने पर सौंफ के साथ बराबर मात्रा में धनिया कूट-छानकर, मिश्री मिलाकर खाना खाने के पश्चात 5 से 6 ग्राम मात्रा में लेने से कुछ ही दिनों में आराम हो जाता है।

अगर गले में खराश हो जाए तो सौंफ चबाना चाहिए। सौंफ चबाने से बैठा हुआ गला भी साफ हो जाता है।

रोजाना सुबह-शाम खाली सौंफ खाने से खून साफ होता है जो कि त्वचा के लिए बहुत फायदेमंद होता है, इससे त्वचा में चमक आती है 

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Monday 17 October 2016

Home treatment for Unwanted Hairs

अनचाहे बालों का घरेलू उपचार 

शरीर के खुले हिस्सों हाथ चेहरे आदि पर अनचाहे बाल कुछ लोगों के लिए बहुत बड़ी समस्या है महिलाए इसे लेकर काफी परेसान रहती है क्युकि हमारी माताये बहनों को बहुत शर्मिंदगी का सामना करना पड़ता है लेकिन प्रयास करने से इससे हमेशा के लिए छुटकारा मिल सकता है जब आप  सब उपाय करके थक चुके हो तो इस उपाय को करे निश्चित रूप से आपको निराशा नहीं मिलेगी !



टनाका पावडर प्रयोग 


* सबसे पहले  आप बाज़ार से टनाका पावडर और कुसुम्बा आयल ले आयें और टनाका पावडर में इतना कुसुम्बा आयल मिलाएं की यह एक क्रीम की तरह बन जाये . अब इसे अच्छे से घोंट कर कुछ देर के लिये रख दे लगभग एक घंटे बाद इसमें कुछ और कुसुम्बा आयल डालने की जरुरत और  हो सकती है क्योंकि पाउडर आयल को सोख लेगा ...कुछ कुसुम्बा आयल और मिलाकर इसे हल्का सा और घोट ले अब यह क्रीम तैयार है लगाने के लिये. ( इसका टेक्सचर किसी कोल्ड क्रीम की तरह रखना है बहुत गाढ़ा पेस्ट जैसा नहीं बनाना है .फिर शरीर के जिस अंग पर इस क्रीम को लगाना हो वहा के अनचाहे बाल पहले हटा दे चाहे रेज़र द्वारा या किसी भी हेयर रिमूवर द्वारा जो भी आप प्रयोग करते हो.

* अब टनाका पावडर और कुसुम्बा आयल द्वारा बनायीं क्रीम को उस स्थान पर लगाकर हलके हाथों से मसाज करें ..और एक से दो घंटे के लिए छोड़ दे ..चाहे तो रात भर के लिए छोड़ दे ... बाद में इसे गुनगुने पानी से धो ले या किसी कपडे से पोछ लें. इस प्रोसेस को आप सप्ताह चार से पांच दिन तक अधिकतम तीन महीने तक करना है ..अधिकांश लोगों के बाल 5 सप्ताह में रिमूव हो जाते है जिनके बाल अधिक घने और मोटे है उन्हें अधिक समय लगेगा , महिलाओं के बाल जल्दी रिमूव हो जाएंगे .. बाल धीरे धीरे पतले हलके रंग के होते जाएंगे और हमेशा के लिए चले जाएंगे  इस प्रयोग को चेहरे सहित शरीर के किसी भी अंग के बाल हटाने के लिए प्रयोग कर सकते है कोई साइड इफेक्ट नहीं है .

* टनाका पावडर बाजार में तीन ग्रेड A, B और C प्रकार का मिलता है ...हेयर रिमूवल के लिए ग्रेड A का प्रयोग करना है इस पाउडर को बड़े शापिंग स्टोर से लिया जा सकता है ऑनलाइन शोपिंग साईट पर भी आसानी से मिलता है . ये माल में भी उपलब्ध है .कुसुम्बा आयल आयुर्वेदिक दवा की बड़ी दुकानों पर आसानी से मिल जायेगा .

* दूसरा एक प्रयोग -एक चम्मच हल्दी पाउडर, चना दाल पाउडर दोनों को पानी में मिलाकर पेस्ट बना लें। इस पेस्ट को अनचाहे बालों पर लगाएं। सुखने के बाद रगड़ कर निकाल लें। नियमित रूप से यह काम करने से धीरे-धीरे अनचाहे बाल खत्म हो जाते हैं।


 चेहरे पर बाल विशेष रूप से ऊपरी होठों के बाल ये बहुत शर्मनाक हो सकते हैं। प्रति दिन बहुत-सी महिलाएं अनचाहे बालों से छुटकारा पाने के लिए उस मायावी विधि की खोज करती हैं लेकिन वर्तमान में वह सभी तरीके दुष्प्रभाविक और दर्दनाक होते हैं। तो अगर आप उन कष्टप्रद बालों से छुटकारा पाना चाहते हैं यह रहा एक प्राकृतिक और पीड़ारहित उपाय कुप्पामेनि के पत्ते।


 कुप्पामेनि (kuppaimeni ) पत्ते जो इंडियन नेट्ल के नाम से भी जाने जाते हैं जो निजात पाने के लिए एक शानदार उपाय हैं। इसकी पत्तियां कृमिनाशक, पीड़ा-नाशक, रोगाणुरोधी हैं और साथ ही इनमें घाव को भरने के गुण हैं। यह अवांछित बालों के लिए सबसे सही उपाय हैं और इनमें त्वचा में व्याप्त होने वाले गुण हैं जो बालों को पतला करके, उनके झड़ने का कारण बन जाते हैं। अंततः यह चेहरे पर बाल बढ़ने से रोकते हैं और ऊपरी होंठ को बाल-मुक्त कर देते हैं।

कुछ कुप्पामेनि की पत्तियों को धोकर पीस लें। एक चमच्च ताज़ी हल्दी (कस्तूरी मंजल) इसमें मिलाएं। इस मिश्रण को अच्छी तरह मिलाकर उस जगह लगाएं जहाँ आप बालों से छुटकारा पाना चाहते हैं। कुछ घंटों के लिए छोड़ दें और फिर पानी से धो लें। इसको लगाने का सबसे अच्छा वक्त रात को है। सोने से पहले लगाकर अगली सुबह धो लें। याद रखें, इस उपाय का असर होने के लिए कुछ समय जरुर लगता है इसलिए इस मिश्रण को रोज़ाना लगाते रहें। यह पौधा आसानी से मिल जाता है और इसकी ज़्यादा देखभाल भी नहीं करनी पड़ती है। आजकल बहुत से हर्बल विक्रता हैं जो इस पौधे को आपके घर तक वितरित कर सकते हैं। अगर आपको ताज़े पत्ते नहीं मिलते तो, इसका पाउडर प्राकृतिक चिकित्सा भंडार में आसानी से मिल जाता है।

 कुछ और प्रयोग 


प्यूमिक स्टोन का उपयोग करें

 यह (एक तरह का पत्थर जो बाजार में आसानी से मिल जाता है) प्यूमिक स्टोन नहाने से पहले अनचाहे बालों पर रगड़ें। धीरे- धीरे अनचाहे बाल खत्म हो जाएंगे।

शहद और नींबू का मिश्रण उपयोग करें  

शहद, नींबू और चीनी का मिश्रण तैयार करें। इस मिश्रण को गर्म करके हाथ व पैरों पर लगाएं। कॉटन की पट्टियों को इस मिश्रण पर चिपका कर निकालें। अनचाहे बाल हट जाएंगे।

इस तरह भी लगा सकते हैं

चीनी और नींबू का रस मिलाकर लगाएं। इस मिश्रण को लगाकर धीरे-धीरे हेयर ग्रोथ की डायरेक्शन में मसाज करें। पंद्रह मिनट लगाकर रहने दें। फिर चेहरा धो लें। इस नुस्खे को नियमित रूप से अपनाएं। अनचाहे बाल खत्म हो जाएंगे।

बेसन और दही लगाएं
बेसन में दही मिलाकर पेस्ट बना लें। इस पेस्ट को अनचाहे बालों पर लगाएं। कुछ देर बाद रगड़ कर निकाल दें, उसके बाद चेहरा धो लें। रोज ऐसा करने से अनचाहे बाल धीरे-धीरे खत्म हो जाएंगे।

एक आयुर्वेदिक तरीका
 ऐसे में कुछ प्राकृतिक उपाय हैं जिससे चेहरे के अनचाहे बाल भी कम होते हैं, त्वचा का ग्लो भी बरकरार रहता है और जेब भी ढीली नहीं होती है।

हल्दी

दक्षिण भारत के कई हिस्सों में महिलाएं चेहरे पर हल्दी का लेप लगाती हैं। इससे चेहरे पर बाल नहीं होते और त्वचा की रंगत निखरती है। साथ ही, यह बेहतरीन एंटीसेप्टिक भी है। रोज पांच से दस मिनट हल्दी का लेप लगाएं।

बेसन

बेसन को अगर #फेसपैक की तरह चेहरे पर रोज लगाएंगे तो भी त्वचा चिकनी रहेगी और बाल कम होंगे। बेसन में एक चुटकी हल्दी और पानी मिलाकर लगाएं और पैक सूखने पर गर्म पानी से साफ करें।

शुगर वैक्स

अगर चेहरे पर बाल अधिक हो रहे हों तो घर पर ही इसकी वैक्सिंग करें, वो भी प्राकृतिक वैक्स से। शक्कर को पिघलाकर इसमें शहद और नींबू का रस मिलाएं और पेस्ट तैयार कर लें। पेस्ट को चेहरे पर लगाएं और वैक्स की तरह साफ करें।

अंडे का मास्क

अंडे का मास्क को भी आप वैक्स की तरा इस्तेमाल कर सकते हैं। इसे फेंटकर चेहरे पर लगाएं और थोड़ी देर छोड़ दें और फिर इसे गीले कपड़े से साफ करें।

साधारण शंख का चूरा २० ग्राम + बर्किया हरताल १० ग्राम + मैंसिल १० ग्राम इन तीनों को पानी में पीस कर लेप बना लीजिए और चमत्कार देखिए कि जिस अंग पर सात दिन लगातार नियमित कुछ घंटे लगा लिया तो उस स्थान पर जीवन भर बाल नहीं उगेंगे ।


* छोंकर (इसे शमी या श्योनाक भी कहते हैं यह बड़ा पेड़ होता है) के फलों को जो कि लम्बी फलियों के रूप में होते हैं  इन्हें बारीक पीस कर जिस जगह बाल नहीं चाहिये वहां एक बार हजामत करके लेप कर दें ; तीन दिनों में आपकी इच्छा पूरी हो जाएगी ।

* खुरासानी अजवायन और अफ़ीम दोनो आधा-आधा ग्राम लें और असली सिरके में घोंट कर लेप बना लें । इस के पांच-सात बार लेप कर लेने से भी जीवन भर बाल नहीं उगते हैं । अगर अफ़ीम मिलने में दिक्कत हो तो इसे न प्रयोग करें.
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