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Monday 17 October 2016

Home treatment for Unwanted Hairs

अनचाहे बालों का घरेलू उपचार 

शरीर के खुले हिस्सों हाथ चेहरे आदि पर अनचाहे बाल कुछ लोगों के लिए बहुत बड़ी समस्या है महिलाए इसे लेकर काफी परेसान रहती है क्युकि हमारी माताये बहनों को बहुत शर्मिंदगी का सामना करना पड़ता है लेकिन प्रयास करने से इससे हमेशा के लिए छुटकारा मिल सकता है जब आप  सब उपाय करके थक चुके हो तो इस उपाय को करे निश्चित रूप से आपको निराशा नहीं मिलेगी !



टनाका पावडर प्रयोग 


* सबसे पहले  आप बाज़ार से टनाका पावडर और कुसुम्बा आयल ले आयें और टनाका पावडर में इतना कुसुम्बा आयल मिलाएं की यह एक क्रीम की तरह बन जाये . अब इसे अच्छे से घोंट कर कुछ देर के लिये रख दे लगभग एक घंटे बाद इसमें कुछ और कुसुम्बा आयल डालने की जरुरत और  हो सकती है क्योंकि पाउडर आयल को सोख लेगा ...कुछ कुसुम्बा आयल और मिलाकर इसे हल्का सा और घोट ले अब यह क्रीम तैयार है लगाने के लिये. ( इसका टेक्सचर किसी कोल्ड क्रीम की तरह रखना है बहुत गाढ़ा पेस्ट जैसा नहीं बनाना है .फिर शरीर के जिस अंग पर इस क्रीम को लगाना हो वहा के अनचाहे बाल पहले हटा दे चाहे रेज़र द्वारा या किसी भी हेयर रिमूवर द्वारा जो भी आप प्रयोग करते हो.

* अब टनाका पावडर और कुसुम्बा आयल द्वारा बनायीं क्रीम को उस स्थान पर लगाकर हलके हाथों से मसाज करें ..और एक से दो घंटे के लिए छोड़ दे ..चाहे तो रात भर के लिए छोड़ दे ... बाद में इसे गुनगुने पानी से धो ले या किसी कपडे से पोछ लें. इस प्रोसेस को आप सप्ताह चार से पांच दिन तक अधिकतम तीन महीने तक करना है ..अधिकांश लोगों के बाल 5 सप्ताह में रिमूव हो जाते है जिनके बाल अधिक घने और मोटे है उन्हें अधिक समय लगेगा , महिलाओं के बाल जल्दी रिमूव हो जाएंगे .. बाल धीरे धीरे पतले हलके रंग के होते जाएंगे और हमेशा के लिए चले जाएंगे  इस प्रयोग को चेहरे सहित शरीर के किसी भी अंग के बाल हटाने के लिए प्रयोग कर सकते है कोई साइड इफेक्ट नहीं है .

* टनाका पावडर बाजार में तीन ग्रेड A, B और C प्रकार का मिलता है ...हेयर रिमूवल के लिए ग्रेड A का प्रयोग करना है इस पाउडर को बड़े शापिंग स्टोर से लिया जा सकता है ऑनलाइन शोपिंग साईट पर भी आसानी से मिलता है . ये माल में भी उपलब्ध है .कुसुम्बा आयल आयुर्वेदिक दवा की बड़ी दुकानों पर आसानी से मिल जायेगा .

* दूसरा एक प्रयोग -एक चम्मच हल्दी पाउडर, चना दाल पाउडर दोनों को पानी में मिलाकर पेस्ट बना लें। इस पेस्ट को अनचाहे बालों पर लगाएं। सुखने के बाद रगड़ कर निकाल लें। नियमित रूप से यह काम करने से धीरे-धीरे अनचाहे बाल खत्म हो जाते हैं।


 चेहरे पर बाल विशेष रूप से ऊपरी होठों के बाल ये बहुत शर्मनाक हो सकते हैं। प्रति दिन बहुत-सी महिलाएं अनचाहे बालों से छुटकारा पाने के लिए उस मायावी विधि की खोज करती हैं लेकिन वर्तमान में वह सभी तरीके दुष्प्रभाविक और दर्दनाक होते हैं। तो अगर आप उन कष्टप्रद बालों से छुटकारा पाना चाहते हैं यह रहा एक प्राकृतिक और पीड़ारहित उपाय कुप्पामेनि के पत्ते।


 कुप्पामेनि (kuppaimeni ) पत्ते जो इंडियन नेट्ल के नाम से भी जाने जाते हैं जो निजात पाने के लिए एक शानदार उपाय हैं। इसकी पत्तियां कृमिनाशक, पीड़ा-नाशक, रोगाणुरोधी हैं और साथ ही इनमें घाव को भरने के गुण हैं। यह अवांछित बालों के लिए सबसे सही उपाय हैं और इनमें त्वचा में व्याप्त होने वाले गुण हैं जो बालों को पतला करके, उनके झड़ने का कारण बन जाते हैं। अंततः यह चेहरे पर बाल बढ़ने से रोकते हैं और ऊपरी होंठ को बाल-मुक्त कर देते हैं।

कुछ कुप्पामेनि की पत्तियों को धोकर पीस लें। एक चमच्च ताज़ी हल्दी (कस्तूरी मंजल) इसमें मिलाएं। इस मिश्रण को अच्छी तरह मिलाकर उस जगह लगाएं जहाँ आप बालों से छुटकारा पाना चाहते हैं। कुछ घंटों के लिए छोड़ दें और फिर पानी से धो लें। इसको लगाने का सबसे अच्छा वक्त रात को है। सोने से पहले लगाकर अगली सुबह धो लें। याद रखें, इस उपाय का असर होने के लिए कुछ समय जरुर लगता है इसलिए इस मिश्रण को रोज़ाना लगाते रहें। यह पौधा आसानी से मिल जाता है और इसकी ज़्यादा देखभाल भी नहीं करनी पड़ती है। आजकल बहुत से हर्बल विक्रता हैं जो इस पौधे को आपके घर तक वितरित कर सकते हैं। अगर आपको ताज़े पत्ते नहीं मिलते तो, इसका पाउडर प्राकृतिक चिकित्सा भंडार में आसानी से मिल जाता है।

 कुछ और प्रयोग 


प्यूमिक स्टोन का उपयोग करें

 यह (एक तरह का पत्थर जो बाजार में आसानी से मिल जाता है) प्यूमिक स्टोन नहाने से पहले अनचाहे बालों पर रगड़ें। धीरे- धीरे अनचाहे बाल खत्म हो जाएंगे।

शहद और नींबू का मिश्रण उपयोग करें  

शहद, नींबू और चीनी का मिश्रण तैयार करें। इस मिश्रण को गर्म करके हाथ व पैरों पर लगाएं। कॉटन की पट्टियों को इस मिश्रण पर चिपका कर निकालें। अनचाहे बाल हट जाएंगे।

इस तरह भी लगा सकते हैं

चीनी और नींबू का रस मिलाकर लगाएं। इस मिश्रण को लगाकर धीरे-धीरे हेयर ग्रोथ की डायरेक्शन में मसाज करें। पंद्रह मिनट लगाकर रहने दें। फिर चेहरा धो लें। इस नुस्खे को नियमित रूप से अपनाएं। अनचाहे बाल खत्म हो जाएंगे।

बेसन और दही लगाएं
बेसन में दही मिलाकर पेस्ट बना लें। इस पेस्ट को अनचाहे बालों पर लगाएं। कुछ देर बाद रगड़ कर निकाल दें, उसके बाद चेहरा धो लें। रोज ऐसा करने से अनचाहे बाल धीरे-धीरे खत्म हो जाएंगे।

एक आयुर्वेदिक तरीका
 ऐसे में कुछ प्राकृतिक उपाय हैं जिससे चेहरे के अनचाहे बाल भी कम होते हैं, त्वचा का ग्लो भी बरकरार रहता है और जेब भी ढीली नहीं होती है।

हल्दी

दक्षिण भारत के कई हिस्सों में महिलाएं चेहरे पर हल्दी का लेप लगाती हैं। इससे चेहरे पर बाल नहीं होते और त्वचा की रंगत निखरती है। साथ ही, यह बेहतरीन एंटीसेप्टिक भी है। रोज पांच से दस मिनट हल्दी का लेप लगाएं।

बेसन

बेसन को अगर #फेसपैक की तरह चेहरे पर रोज लगाएंगे तो भी त्वचा चिकनी रहेगी और बाल कम होंगे। बेसन में एक चुटकी हल्दी और पानी मिलाकर लगाएं और पैक सूखने पर गर्म पानी से साफ करें।

शुगर वैक्स

अगर चेहरे पर बाल अधिक हो रहे हों तो घर पर ही इसकी वैक्सिंग करें, वो भी प्राकृतिक वैक्स से। शक्कर को पिघलाकर इसमें शहद और नींबू का रस मिलाएं और पेस्ट तैयार कर लें। पेस्ट को चेहरे पर लगाएं और वैक्स की तरह साफ करें।

अंडे का मास्क

अंडे का मास्क को भी आप वैक्स की तरा इस्तेमाल कर सकते हैं। इसे फेंटकर चेहरे पर लगाएं और थोड़ी देर छोड़ दें और फिर इसे गीले कपड़े से साफ करें।

साधारण शंख का चूरा २० ग्राम + बर्किया हरताल १० ग्राम + मैंसिल १० ग्राम इन तीनों को पानी में पीस कर लेप बना लीजिए और चमत्कार देखिए कि जिस अंग पर सात दिन लगातार नियमित कुछ घंटे लगा लिया तो उस स्थान पर जीवन भर बाल नहीं उगेंगे ।


* छोंकर (इसे शमी या श्योनाक भी कहते हैं यह बड़ा पेड़ होता है) के फलों को जो कि लम्बी फलियों के रूप में होते हैं  इन्हें बारीक पीस कर जिस जगह बाल नहीं चाहिये वहां एक बार हजामत करके लेप कर दें ; तीन दिनों में आपकी इच्छा पूरी हो जाएगी ।

* खुरासानी अजवायन और अफ़ीम दोनो आधा-आधा ग्राम लें और असली सिरके में घोंट कर लेप बना लें । इस के पांच-सात बार लेप कर लेने से भी जीवन भर बाल नहीं उगते हैं । अगर अफ़ीम मिलने में दिक्कत हो तो इसे न प्रयोग करें.
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weight loss by carom seeds/ Ajwain


1- पाचन संबंधी समस्याओं को दूर करती है अजवाइन।
2- मोटापा कम करने का असरदार नुस्खा है अजवाइन।
3- अजवाइन एक प्रकार का एंटी एसिड होता है।
4- अजवाइन को छाछ के साथ पीने से होता है फायदा।



मोटापा न सिर्फ आपकी पर्सनेलटी को खराब करता है, बल्कि कई बीमारियों का कारण भी बनता है। लेकिन मोटापा कम करना कोई आसान काम भी तो नहीं। लेकिन अगर हम आपको मोटापा कम करने का एक ऐसा नुस्खा बताएं जो न सिर्फ मोटापा कम करता है बल्कि बेहद सस्ता और आसानी से मिल जाने होता है, तो कैसा रहेगा। आपने अपनी रसोई में कई तरह के देखे होगें। उन्‍हीं में से एक है मसाला है 'अजवाइन'। अजवाइन न सिर्फ एक मसाला है, बल्कि एक ऐसी औषधि भी है जिसके प्रयोग से मोटापा कम किया जा सकता है और स्‍वास्‍थ्‍य को बेहतर बनाया जा सकता है। तो चलिये जानें कि अजवाइन से मोटापे को कैसे कम किया जा सकता है।


पाचन संबंधी समस्या को सुधारती है


यदि पाचन ठीक न हो तो मोटाबॉलिज्म खराब होता है और इससे मोटापा भी बढ़ता है। अजवाइन पाचन संबधी किसी भी समस्‍या को ठीक करने में सहायक होती है। यह एक प्रकार का एंटी एसिड होती है जोकि बदहज़मी की समस्या से बचाव करती है। अजवाइन को छाछ के साथ पीने से पाचन संबधी समस्या जैसे अपच आदि से राहत मिलती है।


असरदार नुस्खा है अजवाइन


अजवाइन मोटापा कम करने में भी कारगर होती है। इससे मोटापा कम करने के लिये रात को एक चम्मच अजवाइन को एक गिलास पानी में भिगो कर रख दें। सुबह उठने पर इसे छानकर एक चम्मच शहद के साथ मिलाकर पीएं। इसके नियमित सेवन से जल्द ही मोटापा कम होने लगता है।

लेकिन अजवाइन या अन्य रोई भी नुस्खा कोई चमत्कार नहीं होता है। इन नुस्खों के साथ-साथ नियमित एक्सरसाइज व पौष्टिक और संतुलित भोजन करने की भी जरूरत होती है। साथ ही शरीर को ठीक से हाइड्रेट भी रखना होता है।
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Thursday 6 October 2016

Aayurvedic treatment for Osteoarthritis and Rheumatoid arthritis and many other disease

हरसिंगार

हरसिंगार एक महाऔषधि हैं आइए जाने इसके महागुण एक स्त्री की जुबानी " मैं खुद अपनी आप बीती बताती हूँ । मेरे रीढ़ की हड्डीयो में १४ जगह गैप हो गया था और पैरों की हड्डियां तो बिल्कुल घिस चुकी थी डाक्टरों ने आपरेशन करने को कहा था चलफिर नहीं पाती थी दिन भर दर्द से परेशान रहती पेनकिलर खा खा कर पेट की हालत बदतर हो गई थी । उसी बीच s.s y ( सिद्ध समाधि योग ) का कैम्प लगा मैं वहाँ गईं और वहीं से मुझे हरसिंगार के बारे में पता लगा मैंने इसका काढ़ा पीना शुरू किया । आप सभी को विश्वास नही होगा मै अभी पूर्ण रूप से स्वास्थ्य हूँ और प्रतिदिन १० किलोमीटर पैदल चलती हूँ ।कोई तकलीफ नहीं है ।"
हरसिंगार बुखार मलेरिया टायफड और साईटिक में भी लाभकारी है । 


हरसिंगार के पत्ते हड्डियों के लिए रामबाण हे।।इस से गठिया रोग काफी हद तक सही कर देता हे।ये प्रमाणिक बात हे। राजीव दीक्षित ने भी इसे गुटनो के व् विभिन्न जॉइंट्स के लिए संजीवनी कहा है । 

इसकी पहचान ये पान के पत्ते की तरह होते हे लेकिन इसकी सतह means उपरिभाग खुरदरी होती 
है ।

इसके 5 या 7 पत्ते लेकर 1 लौटे पानी में रात को उबाले व् जब एक चौथाई पानी रह जाये तब रख दे व् सुबह उठते ही इसे पी ले व् 1 hour पहले व् बाद में कुछ नही ले।। तीन माह करने से बिमारी जड़ से सही हो जायेगी।।

जोडो के दर्द के लिये हरसिंगार न मिले तो सदाबहार का काढा बना कर पिये


पेट की चर्बी कम करने के लिए


हरसिंगार का काढ़ा बनाने के लिए सुबह दस पत्ते को चटनी की तरह बनाये और फिर उसे एक गलास पानी में खौला कर चौथाई कर ले और उसे पीले तीन महीने में घुटनों जो लुबरीकेशन घट गया है वो भी ठीक हो जाएगा

आर्थराइटिस का उपचार :-


१. दोनों तरह के आर्थराइटिस (Osteoarthritis और Rheumatoid arthritis) मे आप एक दावा का प्रयोग करे जिसका नाम है चुना, वोही चुना जो आप पान मे खाते हो | गेहूं के दाने के बराबर चुना रोज सुबह खाली पेट एक कप दही मे मिलाके खाना चाहिए, नही तो दाल मे मिलाके, नही तो पानी मे मिलाके पीना लगातार तिन महीने तक, तो आर्थराइटिस ठीक हो जाती है | ध्यान रहे पानी पिने के समय हमेशा बैठ के पीना चाहिए नही तो ठीक होने मे समय लगेगा | अगर आपके हात या पैर के हड्डी मे खट खट आवाज आती हो तो वो भी चुने से ठीक हो जायेगा |

२. दोनों तरह के आर्थराइटिस के लिए और एक अछि दावा है मेथी का दाना | एक छोटा चम्मच मेथी का दाना एक काच की गिलास मे गरम पानी लेके उसमे डालना, फिर उसको रात भर भिगोके रखना | सबेरे उठके पानी सिप सिप करके पीना और मेथी का दाना चबाके खाना | तिन महीने तक लेने से आर्थराइटिस ठीक हो जाती है | ध्यान रहे पानी पिने के समय हमेशा बैठ के पीना चाहिए नही तो ठीक होने मे समय लगेगा |

३. ऐसे आर्थराइटिस के मरीज जो पूरी तरह बिस्तर पकड़ जुके है, चाल्लिस साल से तकलीफ है या तिस साल से तकलीफ है, कोई कहेगा बीस साल से तकलीफ है, और ऐसी हालत हो सकती है के वे दो कदम भी न चल सके, हात भी नही हिला सकते है, लेटे रहते है बेड पे, करवट भी नही बदल सकते ऐसी अवस्था हो गयी है .... ऐसे रोगियों के लिए एक बहुत अछि औषधि है जो इसीके लिए काम आती है | एक पेड़ होता है उसे हिंदी में हरसिंगार कहते है, संस्कृत पे पारिजात कहते है, बंगला में शिउली कहते है , उस पेड़ पर छोटे छोटे सफ़ेद फूल आते है, और फुल की डंडी नारंगी रंग की होती है, और उसमे खुसबू बहुत आती है, रात को फूल खिलते है और सुबह जमीन में गिर जाते है । इस पेड़ के छह सात पत्ते तोड़ के पत्थर में पिस के चटनी बनाइये और एक ग्लास पानी में इतना गरम करो के पानी आधा हो जाये फिर इसको ठंडा करके रोज सुबह खाली पेट पिलाना है जिसको भी बीस तिस चाल्लिस साल पुराना आर्थराइटिस हो या जोड़ो का दर्द हो | यह उन सबके लिए अमृत की तरह काम करेगा | इसको तिन महिना लगातार देना है अगर पूरी तरह ठीक नही हुआ तो फिर 10-15 दिन का गैप देके फिर से तिन महीने देना है | अधिकतम केसेस मे जादा से जादा एक से देड महीने मे रोगी ठीक हो जाते है | इसको हर रोज नया बनाके पीना है | ये औषधि exclusiveExclusive है और बहुत strong औषधि है इसलिए अकेली हि देना चाहिये, इसके साथ कोई भी दूसरी दावा न दे नही तो तकलीफ होगी | ध्यान रहे पानी पिने के समय हमेशा बैठ के पीना चाहिए नही तो ठीक होने मे समय लगेगा |

बुखार का दर्द का उपचार :

डेंगू जैसे बुखार मे शरीर मे बहुत दर्द होता है .. बुखार चला जाता है पर कई बार दर्द नही जाता | ऐसे केसेस मे आप हरसिंगार की पत्ते की काड़ा इस्तेमाल करे, 10-15 दिन मे ठीक हो जायेगा |

घुटने मत बदलिए :

RA Factor जिनका प्रोब्लेमाटिक है और डॉक्टर कहता है के इसके ठीक होने का कोई चांस नही है | कई बार कार्टिलेज पूरी तरह से ख़तम हो जाती है और डॉक्टर कहते है के अब कोई चांस नही है Knee Joints आपको replace करने हि पड़ेंगे, Hip joints आपको replace करने हि पड़ेंगे | तो जिनके घुटने निकाल के नया लगाने की नौबत आ गयी हो, Hip joints निकालके नया लगाना पड़ रहा हो उन सबके लिए यह औषधि है जिसका नाम है हरसिंगार का काड़ा |

राजीव भाई का कहना है के आप कभी भी Knee Joints को और Hip joints को replace मत कराइए | चाहे कितना भी अच्छा डॉक्टर आये और कितना भी बड़ा गारंटी दे पर कभी भी मत करिये | भगवान की जो बनाई हुई है आपको कोई भी दोबारा बनाके नही दे सकता | आपके पास जो है उसिको repair करके काम चलाइए | हमारे देश के प्रधानमंत्री श्री अटलजी ने यह प्रयास किया था, Knee Joints का replace हुआ अमेरिका के एक बहुत बड़े डॉक्टर ने किया पर आज उनकी तकलीफ पहले से जादा है | पहले तो थोडा बहुत चल लेते थे अब चलना बिलकुल बंध हो गया है कुर्सी पे ले जाना पड़ता है | आप सोचिये जब प्रधानमंत्री के साथ यह हो सकता है आप तो आम आदमी हैं । source: internet

Wednesday 5 October 2016

बेल के पत्तों का महत्व (importance of Bel leaves)


बेल के पत्तों का महत्व 



1 बेल के पत्ते शिव जी  का आहार माने गए हैं, इसलिए भक्त लोग बड़ी श्रद्धा से इन्हें महादेव के ऊपर चढ़ाते हैं। शिव की पूजा के लिए बिल्व-पत्र बहुत ज़रूरी माना जाता है। शिव-भक्तों का विश्वास है कि पत्तों  के त्रिनेत्रस्वरूप् तीनों पर्णक शिव के तीनों नेत्रों को विशेष प्रिय हैं।
2 भगवान शंकर का प्रिय भगवान शंकर को बिल्व पत्र बेहद प्रिय हैं। भांग धतूरा और बिल्व पत्र से प्रसन्न होने वाले केवल शिव ही हैं। शिवरात्रि के अवसर पर बिल्वपत्रों से विशेष रूप से शिव की पूजा की जाती है। तीन पत्तियों वाले बिल्व पत्र आसानी से उपलब्ध हो जाते हैं, किंतु कुछ ऐसे बिल्व पत्र भी होते हैं जो दुर्लभ पर चमत्कारिक और अद्भुत होते हैं।
3 बिल्वाष्टक और शिव पुराणबिल्व पत्र का भगवान शंकर के पूजन में विशेष महत्व  है जिसका प्रमाण शास्त्रों में मिलता है। बिल्वाष्टक और शिव पुराण में इसका स्पेशल उल्लेख है। अन्य कई ग्रंथों में भी इसका उल्लेख मिलता है। भगवान शंकर एवं पार्वती को बिल्व पत्र चढ़ाने का विशेष महत्व है।
4 मां भगवती को बिल्व पत्रश्रीमद् देवी भागवत में स्पष्ट वर्णन है कि जो व्यक्ति मां भगवती  को बिल्व पत्र अर्पित करता है वह कभी भी किसी भी परिस्थिति में दुखी नहीं होता। उसे हर तरह की सिद्धि प्राप्त होती है और कई जन्मों के पापों से मुक्ति मिलती है और वह भगवान भोले नाथ का प्रिय भक्त हो जाता है। उसकी सभी इच्छाएं (wishes) पूरी होती हैं और अंत में मोक्ष की प्राप्ति होती है।
5 बिल्व पत्र के प्रकारबिल्व पत्र चार प्रकार के होते हैं – अखंड बिल्व पत्र, तीन पत्तियों के बिल्व पत्र, छः से 21 पत्तियों तक के बिल्व पत्र और श्वेत बिल्व पत्र। इन सभी बिल्व पत्रों का अपना-अपना आध्यात्मिक महत्व है। आप हैरान हो जाएंगे ये जानकर की कैसे ये बेलपत्र आपको भाग्यवान बना सकते हैं और लक्ष्मी कृपा दिला सकते हैं।
6 अखंड बिल्व पत्रइसका विवरण बिल्वाष्टक में इस प्रकार है – ‘‘अखंड बिल्व पत्रं नंदकेश्वरे सिद्धर्थ लक्ष्मी’’। यह अपने आप में लक्ष्मी सिद्ध है। एकमुखी रुद्राक्ष के समान ही इसका अपना विशेष महत्व है। यह वास्तुदोष का निवारण भी करता है। इसे गल्ले में रखकर नित्य पूजन करने से व्यापार में चैमुखी विकास होता है।
7 तीन पत्तियों वाला बिल्व पत्रइस बिल्व पत्र के महत्व का वर्णन भी बिल्वाष्टक में आया है जो इस प्रकार है- ‘‘त्रिदलं त्रिगुणाकारं त्रिनेत्रं च त्रिधायुतम् त्रिजन्म पाप सहारं एक बिल्वपत्रं शिवार्पणम’’ यह तीन गणों से युक्त होने के कारण भगवान शिव को प्रिय है। इसके साथ यदि एक फूल धतूरे का चढ़ा दिया जाए, तो फलों  में बहुत वृद्धि होती है।
8 तीन पत्तियों वाला बिल्व पत्रइस तरह बिल्व पत्र अर्पित करने से भक्त को धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की प्राप्ति होती है। रीतिकालीन कवि ने इसका वर्णन इस प्रकार किया है- ‘‘देखि त्रिपुरारी की उदारता अपार कहां पायो तो फल चार एक फूल दीनो धतूरा को’’ भगवान आशुतोष त्रिपुरारी भंडारी सबका भंडार भर देते हैं।
9 तीन पत्तियों वाला बिल्व पत्रआप भी फूल चढ़ाकर इसका चमत्कार स्वयं देख सकते हैं और सिद्धि प्राप्त कर सकते हैं। तीन पत्तियों वाले बिल्व पत्र में अखंड बिल्व पत्र भी प्राप्त हो जाते हैं। कभी-कभी एक ही वृक्ष पर चार, पांच, छह पत्तियों वाले बिल्व पत्र भी पाए जाते हैं। परंतु ये बहुत दुर्लभ हैं।
10 छह से लेकर 21 पत्तियों वाले बिल्व पत्रये मुख्यतः नेपाल  में पाए जाते हैं। पर भारत में भी कहीं-कहीं मिलते हैं। जिस तरह रुद्राक्ष कई मुखों वाले होते हैं उसी तरह बिल्व पत्र भी कई पत्तियों वाले होते हैं।
11 श्वेत बिल्व पत्र जिस तरह सफेद सांप, सफेद टांक, सफेद आंख, सफेद दूर्वा आदि होते हैं उसी तरह सफेद बिल्वपत्र भी होता है। यह प्रकृति (nature) की अनमोल देन है। इस बिल्व पत्र के पूरे पेड़ पर श्वेत पत्ते पाए जाते हैं। इसमें हरी पत्तियां नहीं होतीं। इन्हें भगवान शंकर को अर्पित करने का विशेष महत्व है।
12 कैसे आया बेल वृक्षबेल वृक्ष की उत्पत्ति के संबंध में ‘स्कंदपुराण’ में कहा गया है कि एक बार देवी पार्वती ने अपनी ललाट से पसीना पोछकर फेंका, जिसकी कुछ बूंदें मंदार पर्वत (mandaar mountain) पर गिरीं, जिससे बेल वृक्ष उत्पन्न हुआ। इस वृक्ष की जड़ों में गिरिजा, तना में महेश्वरी, शाखाओं में दक्षयायनी, पत्तियों में पार्वती, फूलों में गौरी और फलों में कात्यायनी वास करती हैं।
13 कांटों में भी हैं शक्तियाँकहा जाता है कि बेल वृक्ष के कांटों में भी कई शक्तियाँ समाहित हैं। यह माना जाता है कि देवी महालक्ष्मी का भी बेल वृक्ष में वास है। जो व्यक्ति शिव-पार्वती की पूजा बेलपत्र अर्पित कर करते हैं, उन्हें महादेव और देवी पार्वती दोनों का आशीर्वाद मिलता है। ‘शिवपुराण’ में इसकी महिमा विस्तृत रूप में बतायी गयी है।
14 ये भी है श्रीफलनारियल (coconut) से पहले बिल्व के फल को श्रीफल माना जाता था क्योंकि बिल्व वृक्ष लक्ष्मी जी का प्रिय वृक्ष माना जाता था। प्राचीन समय में बिल्व फल को लक्ष्मी और सम्पत्ति का प्रतीक मान कर लक्ष्मी जी को प्रसन्न करने के लिए बिल्व के फल की आहुति दी जाती थी जिसका स्थान अब नारियल ने ले लिया है। प्राचीन समय से ही बिल्व वृक्ष और फल पूजनीय रहा है, पहले लक्ष्मी जी के साथ और धीरे-धीरे शिव जी के साथ।
15 यह एक रामबाण दवा भी हैवनस्पति में बेल का अत्यधिक महत्व है। यह मूलतः शक्ति का प्रतीक माना गया है। किसी-किसी पेड़ पर पांच से साढ़े सात किलो वजन वाले चिकित्सा विज्ञान में बेल का विशेष महत्व है। आजकल कई व्यक्ति इसकी खेती करने लगे हैं। इसके फल से शरबत, अचार और मुरब्बा आदि बनाए जाते हैं। यह हृदय रोगियों (heart patients) और उदर विकार से ग्रस्त लोगों के लिए रामबाण औषधि (medicine) है।
16 यह एक रामबाण दवा भी हैधार्मिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण होने के कारण इसे मंदिरों  के पास लगाया जाता है। बिल्व वृक्ष की तासीर बहुत शीतल होती है। गर्मी की तपिश से बचने के लिए इसके फल का शर्बत बड़ा ही लाभकारी (helpful) होता है। यह शर्बत कुपचन, आंखों की रोशनी  में कमी, पेट में कीड़े और लू लगने जैसी समस्याओं से निजात पाने के लिए उत्तम है। औषधीय गुणों से परिपूर्ण बिल्व की पत्तियों मे टैनिन, लोह, कैल्शियम, पोटेशियम और मैग्नेशियम (magnesium) जैसे रसायन (chemical) पाए जाते हैं।

क्या हैं बेल पत्र अथवा बिल्व-पत्र?

बिल्व-पत्र एक पेड़ की पत्तियां हैं, जिस के हर पत्ते लगभग तीन-तीन के समूह में मिलते हैं। कुछ पत्तियां चार या पांच के समूह की भी होती हैं। किन्तु चार या पांच के समूह वाली पत्तियां बड़ी दुर्लभ होती हैं। बेल के पेड को बिल्व भी कहते हैं। बिल्व के पेड़ का विशेष धार्मिक महत्व हैं। शास्त्रोक्त मान्यता हैं कि बेल के पेड़ को पानी या गंगाजल से सींचने से समस्त तीर्थो का फल प्राप्त होता हैं एवं भक्त को शिवलोक की प्राप्ति होती हैं। बेल कि पत्तियों में औषधि गुण भी होते हैं। जिसके उचित औषधीय प्रयोग से कई रोग दूर हो जाते हैं। भारतिय संस्कृति में बेल के वृक्ष का धार्मिक महत्व हैं, क्योकि बिल्व का वृक्ष भगवान शिव का ही रूप है। धार्मिक ऐसी मान्यता हैं कि बिल्व-वृक्ष के मूल अर्थात उसकी जड़ में शिव लिंग स्वरूपी भगवान शिव का वास होता हैं। इसी कारण से बिल्व के मूल में भगवान शिव का पूजन किया जाता हैं। पूजन में इसकी मूल यानी जड़ को सींचा जाता हैं।

धर्मग्रंथों में भी इसका उल्लेख मिलता हैं

बिल्वमूले महादेवं लिंगरूपिणमव्ययम्।
य: पूजयति पुण्यात्मा स शिवं प्राप्नुयाद्॥
बिल्वमूले जलैर्यस्तु मूर्धानमभिषिञ्चति।
स सर्वतीर्थस्नात: स्यात्स एव भुवि पावन:॥ (शिवपुराण)

भावार्थ: बिल्व के मूल में लिंगरूपी अविनाशी महादेव का पूजन जो पुण्यात्मा व्यक्ति करता है, उसका कल्याण होता है। जो व्यक्ति शिवजी के ऊपर बिल्वमूल में जल चढ़ाता है उसे सब तीर्थो में स्नान का फल मिल जाता है।बिल्व पत्र तोड़ने का मंत्रबिल्व-पत्र को सोच-समझ कर ही तोड़ना चाहिए। बेल के पत्ते तोड़ने से पहले निम्न मंत्र का उच्चरण करना चाहिए- 

अमृतोद्भव श्रीवृक्ष महादेवप्रियःसदा।
गृह्यामि तव पत्राणि शिवपूजार्थमादरात्॥ (आचारेन्दु)

भावार्थ: अमृत से उत्पन्न सौंदर्य व ऐश्वर्यपूर्ण वृक्ष महादेव को हमेशा प्रिय है। भगवान शिव की पूजा के लिए हे वृक्ष में तुम्हारे पत्र तोड़ता हूं।

कब न तोड़ें बेल की पत्तियां ?*

विशेष दिन या विशेष पर्वो के अवसर पर बिल्व के पेड़ से पत्तियां तोड़ना निषेध हैं। *
शास्त्रों के अनुसार बेल कि पत्तियां इन दिनों में नहीं तोड़ना चाहिए-* 
बेल कि पत्तियां सोमवार के दिन नहीं तोड़ना चाहिए।* 
बेल कि पत्तियां चतुर्थी, अष्टमी, नवमी, चतुर्दशी और अमावस्या की तिथियों को नहीं तोड़ना चाहिए।* 
बेल कि पत्तियां संक्रांति के दिन नहीं तोड़ना चाहिए।


अमारिक्तासु संक्रान्त्यामष्टम्यामिन्दुवासरे ।
बिल्वपत्रं न च छिन्द्याच्छिन्द्याच्चेन्नरकं व्रजेत ॥ (लिंगपुराण)

भावार्थ: अमावस्या, संक्रान्ति के समय, चतुर्थी, अष्टमी, नवमी और चतुर्दशी तिथियों तथा सोमवार के दिन बिल्व-पत्र तोड़ना वर्जित है।चढ़ाया गया पत्र भी पूनः चढ़ा सकते हैं?शास्त्रों में विशेष दिनों पर बिल्व-पत्र तोडकर चढ़ाने से मना किया गया हैं तो यह भी कहा गया है कि इन दिनों में चढ़ाया गया बिल्व-पत्र धोकर पुन: चढ़ा सकते हैं।


अर्पितान्यपि बिल्वानि प्रक्षाल्यापि पुन: पुन:।
शंकरायार्पणीयानि न नवानि यदि चित्॥ (स्कन्दपुराण) और (आचारेन्दु)

भावार्थ: अगर भगवान शिव को अर्पित करने के लिए नूतन बिल्व-पत्र न हो तो चढ़ाए गए पत्तों को बार-बार धोकर चढ़ा सकते हैं।बेल पत्र चढाने का मंत्र भगवान शंकर को विल्वपत्र अर्पित करने से मनुष्य कि सर्वकार्य व मनोकामना सिद्ध होती हैं। श्रावण में विल्व पत्र अर्पित करने का विशेष महत्व शास्त्रो में बताया गया हैं। विल्व पत्र अर्पित करते समय इस मंत्र का उच्चारण करना चाहिए:
त्रिदलं त्रिगुणाकारं त्रिनेत्रं च त्रिधायुतम्।
त्रिजन्मपापसंहार, विल्वपत्र शिवार्पणम्


भावार्थ: तीन गुण, तीन नेत्र, त्रिशूल धारण करने वाले और तीन जन्मों के पाप को संहार करने वाले हे शिवजी आपको त्रिदल बिल्व पत्र अर्पित करता हूं।शिव को बिल्व-पत्र चढ़ाने से लक्ष्मी की प्राप्ति होती है।
*source-internet

Regards and Thanks.

Tuesday 4 October 2016

Difference between God Shiva and Shankar

भगवान् शिव और शंकर में क्या अंतर है ?

 क्या शिव और शंकर एक ही हैं ?  या एक ही शरीर के दो रूप हैं  या एक ही भगवन के  दो अलग अलग नाम हैं आखिर क्यों हम कभी शिव कभी शंकर या कभी भोलेनाथ आदी नामो से एक ही भगवान् को पूजते हैं ?

कई लोगों का प्रश्न होता है जो लोग जानने के इच्छुक हैं आज उनके लिए मैं आपलोगो के सामने कुछ विचार रख रहा हूँ आशा करता हूँ की आपको अंतर समझ में आजायेगा।

भगवान् शिव 


शास्त्रों के अनुसार भगवान् शिव  का निवास स्थान कैलाश  पर्वत हैं मूल रूप से भगवान् शिव एक योगी हैं जिन्होंने योग  जरिये अनंत एवं अपार ज्ञान शक्ति प्राप्त कर ली है । भगवान् शिव बर्फ से ढके हुए अत्यंत ठन्डे कैलाश पर्वत में रहते हैं और जिन्होंने वैराग्य धारण किया हुआ है अर्थात जिनको इस दुनिया से कोई मतलब नहीं है केवल योग में विलीन रहने वाले योगी हैं । इस मंत्र में शिव जी के रूप के बारे में जानने को भी मिलता है ।

कर्पूरगौरं करुणावतारम 
संसारसारम् भुजगेन्द्रहारम् ।
सदावसन्तं हृदयारविन्दे
भवं भवानीसहितं नमामि ॥



कर्पूरगौरं करुणावतारम अर्थात शिव जी का जो शरीर है उसका रंग कपूर की तरह सफ़ेद है ।

भगवान् शंकर 

जब शिव जी संसार त्याग कर कैलाश निवासी हो गए और जगत कल्याण के लिए उनकी जरुरत पड़ी तो देवी गौरी ने उनको योगी से भोगी बनाया और कैलाश पर्वत से काशी तक लेके आयी जहाँ वो शंकर कहलाये और वहां से उनके पारिवारिक जीवन की शुरुआत हुयी । तभी से हम दोनों को गौरी-शंकर  के नाम से  जानते हैं ।



स्रोत: इन्टरनेट 

सिर्फ 25 दिनों में गंजो के सिर पर बाल उगाने का 100% शर्तियाँ अचूक रामबाण उपाय, एक बार जरूर आजमाएँ.

सिर्फ 25 दिनों में गंजो के सिर पर बाल उगाने का 100% 

शर्तियाँ अचूक रामबाण उपाय, एक बार जरूर आजमाएँ.


आवश्यक सामग्री :

250 ग्राम चिरमिटी/रत्ती/घुंघुचि/गुंचा (Abrus Precatorius)
यह सब इसके नाम है।
यह सफ़ेद और लाल + काले रंग की मनके के समान होती है।
जड़ी बूटी बेचने वालो या पंसारी की दुकान पर आसानी से मिल जाती है
सफ़ेद रंग कि मिले तो वह ले – न मिले तो लाल काले रंग कि ले।



चमत्कारी तेल बनाने का तरीका :

1. इसे बारीक पीस कर पाउडर बना छान ले। छानने के बाद जो ऊपर मोटा अंश बचे उसे फेंके नहीं।
2. अब छने हुए पाउडर मे से लगभग 50 ग्राम अलग निकाल कर रख लें।
3. बाकी बचे हुए सारे 200 ग्राम पाउडर को लगभग 1.5 लीटर पानी मे धीमी आग पर इतना उबाले कि उबल के पानी लगभग 500ml रह जाये।
4. अब इस पानी को छान कर रख ले।
5. एक लौहे की कड़ाही मे लगभग 200 ग्राम तिल का तेल ले यदि तिल तेल का न मिले तो सरसों का भी ले सकते हैं परंतु तिल का तेल अधिक असरदार होता है। अब 500ml चिरमटी उबाल कर छाना हुआ पानी व 50 ग्राम चिरमटी का बचा हुआ पाउडर इन सभी को ठंडे तेल मे मिला ले। ध्यान रहे गरम तेल मे कुछ नही डालना है ऐसा नुकसानदायक हो सकता है। अब इस इस ठन्डे तेल में मिली सामग्री को धीमी आंच पर फिर से पकाए।
6. पकने उपरांत जब तेल मे से पानी लगभग जल जाए। तो यह टेस्ट करने के लिये की इसमें पानी का अंश पूर्ण रूप से जल गया है केवल मात्र तेल ही शेष बचा है। इसके परिक्षण के लिये एक लौहे की तार का टुकडा या बांस की झाडू की सींख ले उस पर काटन का फोया लपेट उसे तेल में भिगो आग पर रखे। यदि चटर पटर की आवाज आए तो समझे कि अभी तेल पूरी तरह नहीं पका है। उसमें पानी का अंश शेष है तो उसे धीमी आंच पर ओर गरम होने दे।
7. अगर तेल लगी हुई रूई तत्काल जल जाए तो समझे कि तेल पक गया है। तब इसे चूल्हे से उतार स्टील के टोप जैसे बर्तन में डाल के रख दें। साथ में तो यह ठंडा हो जायेगा और साथ ही इसमें से काला अंश टोप में निचे बैठ जायेगा। पूरी तरह ठंडा होने पर इस तेल को एक दम सूखी काँच या प्लास्टिक की बोतल में डाल लें। जिसमें पानी का अंश ना हो।
इस तेल को लगाने की प्रयोग विधि :
1. यह तेल सिर पर दिन में 2 बार सुबह – शाम लगाए। लगभग 5 मिनट मालिश करे।
2. तेल प्रयोग के दौरान कोई भी साबुन या शैंपू सिर में न लगाए। सिर धोने के लिए खट्टी दहि – खट्टी लस्सी या नींबू का प्रयोग करे।
3. हमे आशा ही नही पूर्ण विश्वास है की सिर्फ 1 महीने प्रयोग के बाद आपको निराश नही होना पडेगा। आपकी इच्छानुरूप परिणाम मिलने शुरू हो जायेंगे। क्योंकि यह प्रयोग हमने जिस जिस व्यक्ति पर किया परिणाम 100% मिला।
4. विशेष : इसके साथ ”अन्नतमूल की जड ” का 2 ग्राम चूर्ण रोजाना सेवन करे।
Source: http://www.allayurvedic.org/2016/08/abrus-precatiorius

Monday 3 October 2016

The Secrets of Power Yoga

पावर योगा

आजकल की भागदौड भरी जिंदगी में हम सब काम रिमोट से करना चाहते हैं, चाहे व टीवी का चैनल बदलना हो या खिडकी के पर्दे हटाना हो। शरीर के स्वाचस्य की तरफ ध्यान देने के लिए बिलकुल टाइम नहीं है। आदमी पहले बुजुर्ग होने पर बीमार पडता था लेकिन आजकल युवा पीढी में ही कई प्रकार की बीमारियों अर्थराइटिस, हार्ट अटैक, कैंसर, डायबिटीज, ब्लड प्रेशर और डिप्रेशन के शिकार हो रही है। लेकिन पॉवर योगा करके कम समय में ही आसानी से स्‍वस्‍थ्‍य रह सकते हैं।

पॉवर योगा

इसे भारतीय योग के प्रमुख आसन सूर्य नमस्कार के 12 स्टे‍प्स और कुछ अन्य आसनों को मिलाकर बनाया गया है। इस योगा के प्रकार को कई सेलिब्रेटियों ने अपनाया है। जीरो फीगर व फिटनेस को बनाने में इसकी बहुत ही महत्वकपूर्ण भूमिका होती है। वजन घटाने व फिगर मेंटेन करने के लिए लड़कियाँ जहां पावर योगा सीख रही हैं, वहीं युवा लड़के भी फिटनेस, स्ट्रेंथ, सेल्फ कंट्रोल और कन्संट्रेशन के लिए इस योग का सहारा ले रहे हैं। इस योगा को 45 मि‍नट में किया जा सकता है और इसे सप्ताह में दो या तीन दिन ही किया जाता है। इसके लिए सुबह का समय होना जरूरी है। 

इस योग की शुरूआत 1990 के मध्य में हुई थी। पावर योग मुख्यि रूप से अष्टांग योगा पर निर्भर करता है। लेकिन यह साधारण योगा से थोड़ा अलग है। यह योगा का एथलेटिक स्टाइल है, जिसमें सांसों की गति और अध्यात्म से ज्यादा शक्ति और लचीलेपन पर जोर रहता है। इसमें मुद्राओं की एक निर्धारित श्रेणी नहीं होती, इसलिए टीचर और इंस्ट्रक्टर के अनुसार स्टाइल अलग-अलग हो सकती है। पॉवर योगा में प्रत्येक व्यक्ति की शरीर के आधार पर ही विभिन्न प्रकार की एक्सरसाइज का इस्तेयमाल किया जाता है। पॉवर योगा में इंस्ट्रक्टर आपकी बॉडी अनुसार ही आपको एक्सरसाइज की टिप्स बताते हैं। इस योगा में आमतौर पर चार प्रकार के बॉडी शेप माने जाते है। एप्पल शेप, पियर शेप, नार्मल शेप और ट्यूब शेप जिसे जीरो फीगर भी कहा जाता है। इसमें प्रत्येक शेप के लिए अलग-अलग योगा की एक्सरसाइज होती है।

पावर योगा के फायदे

मोटापा कम करना
पावर योगा से मसल्स बनाने से लेकर शरीर के फैट तक को कम किया जा सकता है। साधारण योगा में जहां आसन और सांस की प्रक्रिया में जोर दिया जाता है वहीं पावर योगा वर्कआउट की तरह है। जिसमें विभिन्न पोज और एक्सारसाइज होती है। सप्‍ताह में कम से तीन बार पावर योगा जरूर करें। इसमें शरीर की कैलोरी जलाने की क्षमता बढती है जिससे आसानी से मोटापा कम करके शरीर को आकर्षक शेप दिया जा सकता है। 

बीमारियों से रहें दूर
इस योगा के करने से रक्त संचार और शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढती है। जिससे अनेक बीमारियां जैसे- अस्थमा, अर्थराइटिस, डिप्रेशन, डायबिटीज, हाइपरटेंशन आदि बीमारियां समाप्त होती हैं। 

तनाव से रहें दूर
कंपटीशन के दौर में घरेलू या ऑफिस की वजह से हर कोई तनाव में रहता है। पावर योगा को करने से तनाव कम होता है। पसीने से शरीर को नुकसान पहुंचाने वाले टॉक्सिन निकलते हैं जिससे सेल्फ-कंट्रोल और कन्संट्रेशन बढता है।

पावर योगा शरीर को फिट रखने का एक आसान तरीका है। यह योगा 16 से 30 साल के युवाओं के लिए अच्छा होता है। दिल को रोगियों, लो-ब्लेड प्रेशर और प्रेग्नेंट औरतों को यह योगा नहीं करना चाहिए। इस योगा में संयम और ध्यान में जोर नहीं दिया जाता है जो कि पारंपरिक योगा का मूल मंत्र है।
source- internet

धन तेरस,कार्तिक कृ्ष्ण पक्ष शुक्रवार 28 october, 2016 (DHAN TERAS / LAXMI POOJA)

धन तेरस,कार्तिक कृ्ष्ण पक्ष शुक्रवार  28 october, 2016



कार्तिक कृ्ष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन धनतेरस का पर्व पूरी श्रद्धा व विश्वास से मनाया जाता है. देव धनवन्तरी के अलावा इस दिन, देवी लक्ष्मी जी और धन के देवता कुबेर के पूजन की परम्परा है. इस दिन कुबेर के अलावा यमदेव को भी दीपदान किया जाता है. इस दिन यमदेव की पूजा करने के विषय में एक मान्यता है कि इस दिन यमदेव की पूजा करने से घर में असमय मृ्त्यु का भय नहीं रहता है. धन त्रयोदशी के दिन यमदेव की पूजा करने के बाद घर के मुख्य द्वार पर दक्षिण दिशा की ओर मुख वाला दीपक पूरी रात्रि जलाना चाहिए. इस दीपक में कुछ पैसा व कौडी भी डाली जाती है.

धनतेरस का महत्व

साथ ही इस दिन नये उपहार, सिक्का, बर्तन व गहनों की खरीदारी करना शुभ रहता है. शुभ मुहूर्त समय में पूजन करने के साथ सात धान्यों की पूजा की जाती है. सात धान्य गेंहूं, उडद, मूंग, चना, जौ, चावल और मसूर है. सात धान्यों के साथ ही पूजन सामग्री में विशेष रुप से स्वर्णपुष्पा के पुष्प से भगवती का पूजन करना लाभकारी रहता है. इस दिन पूजा में भोग लगाने के लिये नैवेद्ध के रुप में श्वेत मिष्ठान्न का प्रयोग किया जाता है. साथ ही इस दिन स्थिर लक्ष्मी का पूजन करने का विशेष महत्व है.

धन त्रयोदशी के दिन देव धनवंतरी देव का जन्म हुआ था. धनवंतरी देव, देवताओं के चिकित्सकों के देव है. यही कारण है कि इस दिन चिकित्सा जगत में बडी-बडी योजनाएं प्रारम्भ की जाती है. धनतेरस के दिन चांदी खरीदना शुभ रहता है.

धन तेरस पूजा मुहूर्त

1. प्रदोष काल:-

सूर्यास्त के बाद के 2 घण्टे 24 की अवधि को प्रदोषकाल के नाम से जाना जाता है. प्रदोषकाल में दीपदान व लक्ष्मी पूजन करना शुभ रहता है.


Dhanteras Puja Muhurta = 17:35 to 18:20 
*(without sthir lagna)
Duration = 0 Hours 45 Mins
Pradosh Kaal = 17:35 to 20:11
Vrishabha Kaal = 18:35 to 20:30
Trayodashi Tithi Starts = 16:15 on 27/Oct/2016
Trayodashi Tithi Ends = 18:20 on 28/Oct/2016



2. चौघाडिया मुहूर्त:-


चौघाडिया मुहूर्त में लाभ समय में पूजन करना लाभों में वृ्द्धि करता है. शुभ काल मुहूर्त की शुभता से धन, स्वास्थय व आयु में शुभता आती है. सबसे अधिक शुभ अमृ्त काल में पूजा करने का होता है.

सांय काल में शुभ महूर्त


धनतेरस में क्या खरीदें


लक्ष्मी जी व गणेश जी की चांदी की प्रतिमाओं को इस दिन घर लाना, घर- कार्यालय,. व्यापारिक संस्थाओं में धन, सफलता व उन्नति को बढाता है.

इस दिन भगवान धनवन्तरी समुद्र से कलश लेकर प्रकट हुए थे, इसलिये इस दिन खास तौर से बर्तनों की खरीदारी की जाती है. इस दिन बर्तन, चांदी खरीदने से इनमें 13 गुणा वृ्द्धि होने की संभावना होती है. इसके साथ ही इस दिन सूखे धनिया के बीज खरीद कर घर में रखना भी परिवार की धन संपदा में वृ्द्धि करता है. दीपावली के दिन इन बीजों को बाग/ खेतों में लागाया जाता है ये बीज व्यक्ति की उन्नति व धन वृ्द्धि के प्रतीक होते है.

धन तेरस पूजन

धनतेरस के दिन भगवान धनवंतरि की मूर्ति या चित्र साफ स्थान पर स्थापित करें और पूर्व की ओर मुखकर बैठ जाएं। उसके बाद भगवान धनवंतरि का आह्वान निम्न मंत्र से करें-

सत्यं च येन निरतं रोगं विधूतं,अन्वेषित च सविधिं आरोग्यमस्य।
गूढं निगूढं औषध्यरूपं, धनवंतरिं च सततं प्रणमामि नित्यं।।


इसके बाद पूजन स्थल पर चावल चढ़ाएं और आचमन के लिए जल छोड़े। भगवान धनवंतरि के चित्र पर गंध, अबीर, गुलाल पुष्प, रोली, आदि चढ़ाएं। चांदी के पात्र में खीर का नैवेद्य लगाएं। अब दोबारा आचमन के लिए जल छोड़ें। मुख शुद्धि के लिए पान, लौंग, सुपारी चढ़ाएं। धनवंतरि को वस्त्र (मौली) अर्पण करें। शंखपुष्पी, तुलसी, ब्राह्मी आदि पूजनीय औषधियां भी अर्पित करें।

रोगनाश की कामना के लिए इस मंत्र का जाप करें


ऊँ रं रूद्र रोगनाशाय धन्वन्तर्ये फट्।।

अब भगवान धनवंतरि को श्री फल व दक्षिणा चढ़ाएं। पूजन के अंत में कर्पूर आरती करें।

कुबेर की पूजा

धनतेरस पर आप धन के देवता कुबेर को प्रसन्न करके अपनी दरिद्रता दूर कर धनवान बन सकते हैं। धन के देवता कुबेर को प्रसन्न करने का यह सबसे अच्छा मौका है। यदि कुबेर आप पर प्रसन्न हो गए तो आप के जीवन में धन-वैभव की कोई कमी नहीं रहेगी। कुबेर को प्रसन्न करना बेहद आसान है। धन-सम्पति की प्राप्ति हेतु घर के पूजास्थल में एक दीया जलाएं। मंत्रो‘चार के द्वारा आप कुबेर को प्रसन्न कर सकते हैं। इसके लिए पारद कुबेर यंत्र के सामने मंत्रो‘चार करें। यह उपासना धनतेरस से लेकर दीवाली तक की जाती है। ऐसा करने से जीवन में किसी भी प्रकार का अभाव नहीं रहता, दरिद्रता का नाश होता है और व्यापार में वृद्धि होती है।


कुबेर का मंत्र


ऊँ यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धनधान्यादिपतये।
धनधान्य समृद्धि मे देहि दापय स्वाहा।।


यम की पूजा

माना जाता है कि धनतेरस की शाम जो व्यक्ति यम के नाम पर दक्षिण दिशा में दीया जलाकर रखता है उसकी अकाल मृत्यु नहीं होती है। इस मान्यता के अनुसार धनतेरस की शाम लोग आंगन में यम देवता के नाम पर दीप जलाकर रखते हैं और उनकी पूजा करके प्रार्थना करते हैं कि वह घर में प्रवेश नहीं करें और किसी को कष्ट नहीं पहुंचाएं। इस दिन लोग यम देवता के नाम पर व्रत भी रखते हैं।

दीपदान करते समय यह मंत्र पढ़ें 


मृत्युना पाशहस्तेन कालेन भार्यया सह।
त्रयोदश्यां दीपदानात् सूर्यज: प्रीयतामिति।। ओम यमाय नम:।।


लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए

लक्ष्मी जी की कृपा पाने के लिए अष्टदल कमल बनाकर कुबेर, लक्ष्मी एवं गणेश जी की स्थापना कर उपासना की जाती है। इस अनुष्ठान में पांच घी के दीपक जलाकर और कमल, गुलाब आदि पुष्पों से उत्तर दिशा की ओर मुख करके पूजन करना लाभप्रद होता है। इसके अलावा ओम् श्रीं श्रीयै नम: का जाप करना चाहिए।

जिन जातकों को धन का अभाव हो, वे इस दिन चांदी के गणेश, लक्ष्मी या सिक्का अवश्य खरीदें तथा दीपावली के दिन उनकी पूजा करें, तो वर्ष भर धन दौलत से परिपूर्ण होता है। कुबेर यंत्र और श्री यंत्र की पूजा करना भी शुभ है। धनतेरस के दिन घर में नई चीज, खासकर चांदी बर्तन और सोना-चांदी खरीदकर लाने की पारंपरिक रिवाज है। इस दिन धन का अपव्यय नहीं किया जाता है।

इस दिन लोग व्यापार में भी उधार के लेन-देन से बचते हैं। सायंकाल महाप्रदोषकाल में यमराज की प्रसन्नता के लिए 111 दिये का दान करना श्रेष्ठ होता है। यह दीपदान वैसे तो बहते पानी में किया जाता है, लेकिन आजकल जलाभाव के कारण चारदीवारी या खाली स्थान या चबूतरे में रखकर भी दीपदान किया जा सकता है। इस दिन धन्वंतरि जयंती पर विशेष रूप से बनाए गए आसव, अर्क, शक्तिवर्धक चूर्ण, चरणामृत, च्यवनप्राश आदि इष्ट-मित्रों को प्रसाद रूप में बांटे जाते हैं।

धनतेरस की कथा

एक किवदन्ती के अनुसार एक राज्य में एक राजा था, कई वर्षों तक प्रतिक्षा करने के बाद, उसके यहां पुत्र संतान कि प्राप्ति हुई. राजा के पुत्र के बारे में किसी ज्योतिषी ने यह कहा कि, बालक का विवाह जिस दिन भी होगा, उसके चार दिन बाद ही इसकी मृ्त्यु हो जायेगी 

ज्योतिषी की यह बात सुनकर राजा को बेहद दु:ख हुआ, ओर ऎसी घटना से बचने के लिये उसने राजकुमार को ऎसी जगह पर भेज दिया, जहां आस-पास कोई स्त्री न रहती हो, एक दिन वहां से एक राजकुमारी गुजरी, राजकुमार और राजकुमारी दोनों ने एक दूसरे को देखा, दोनों एक दूसरे को देख कर मोहित हो गये, और उन्होने आपस में विवाह कर लिया

ज्योतिषी की भविष्यवाणी के अनुसार ठीक चार दिन बाद यमदूत राजकुमार के प्राण लेने आ पहुंचें. यमदूत को देख कर राजकुमार की पत्नी विलाप करने लगी. यह देख यमदूत ने यमराज से विनती की और कहा की इसके प्राण बचाने का कोई उपाय बताईयें. इस पर यमराज ने कहा की जो प्राणी कार्तिक कृ्ष्ण पक्ष की त्रयोदशी की रात में जो प्राणी मेरा पूजन करके दीप माला से दक्षिण दिशा की ओर मुंह वाला दीपक जलायेगा, उसे कभी अकाल मृ्त्यु का भय नहीं रहेगा. तभी से इस दिन घर से बाहर दक्षिण दिशा की ओर दीप जलाये जाते है । 

स्रोत: इन्टरनेट

sciatica Symptoms and Cure

साइटिका का सफल इलाज और लक्षण 

एक पैर मे पंजे से लेकर कमर तक दर्द होना गृध्रसी या रिंगण बाय कहलाता है। प्रायः पैर के पंजे से लेकर कूल्हे तक दर्द होता है जो लगातार होता रहता है। मुख्य लक्षण यह है कि दर्द केवल एक पैर मे होता है। दर्द इतना अधिक होता है कि रोगी सो भी नहीं पाता।






चिकित्सा* 

ये चिकित्सा बहुत अनुभव की है। बहुत अधिक परेशानी मे मे भी तीन दिन मे फायदा हो जाता है स्थायी लाभ के लिए 10-15 दिन जरूर प्रयोग करें।
हारसिंगार, पारिजात के 10-15 मुलायम पत्ते तोड़ लाएँ। पत्तों को धो कर मिक्सी मे या कैसे ही थोड़ा सा कूट पीस ले। बहुत अधिक बारीक पीसने कि जरूरत नहीं है। एक गिलास पानी मे धीमी आंच पर उबालें। चाय कि तरह छान कर गरम गरम पानी (काढ़ा) पी ले। प्रतिदिन दो बार पीजिये, पहली बार मे ही 10% फायदा होगा । काढ़े से 15 मिनट पहले और 1 घंटा बाद तक ठंडा पानी न पियें।
दही लस्सी और अचार न खाएं। बार बार प्रयोग किया है । कभी असफल नहीं हुआ। पारिजात (Nyctanthes arbor-tristis) एक पुष्प देने वाला वृक्ष है। इसे परिजात, हरसिंगार, शेफाली, शिउली आदि नामो से भी जाना जाता है। इसका वृक्ष 10 से 15 फीट ऊँचा होता है। इसका वानस्पतिक नाम 'निक्टेन्थिस आर्बोर्ट्रिस्टिस' है। पारिजात पर सुन्दर व सुगन्धित फूल लगते हैं। यह सब स्थानो पर मिलता है। इसकी सबसे बड़ी पहचान है सफ़ेद फूल केसरिया डंडी। सुबह सब फूल झड़ जाते है।
इसके साथ योगराज गुग्गल व वातविध्वंसक वटी एक एक गोली दोनों समय लें । आवश्यकतानुसार इस उपचार को 40 से 45 दिनों तक करलें ।
अन्य उपचार-
एरण्ड के बीजों की पोटली बनालें व इसे तवे पर गर्म करके जहाँ दर्द हो वहाँ सेंकने से दर्द दूर होता है ।
एक गिलास दूध में एक कप पानी डाल दें और इसमें लहसुन की 6-7 कलियां काटकर डाल दें । फिर इसे इतना उबालें कि यह आधा रह जाए तो ठण्डा होने पर पी लें । यह सायटिका की उत्तम दवा मानी जाती है ।
सायटिका के दर्द को दूर करने के लिये आधा कप गोमूत्र में डेढ कप केस्टर आईल (अरण्डी का तेल) मिलाकर सोते समय एक माह पीने से यह दुष्ट रोग चला जाता है ।
निर्गुण्डी के 100 ग्राम बीज साफ करके कूट-पीसकर बराबर मात्रा की 10 पुडिया बना लें । सूर्योदय से पहले आटे या रवे का हलवा बनाएँ और उसमें शुद्ध घी व गुड का प्रयोग करें, वेजीटेबल घी व शक्कर का नहीं । जितना हलवा खा सकें उतनी मात्रा में हलवा लेकर एक पुडिया का चूर्ण उसमें मिलाकर हलवा खा लें और फिर सो जाएँ । इसे खाकर पानी न पिएँ सिर्फ कुल्ला करके मुँह साफ करलें । दस पुडिया दस दिन में इस विधि से सेवन करने पर सायटिका, जोडों का दर्द, कमर व घुटनों का दर्द होना बन्द हो जाता है । इस अवधि में पेट साफ रखें व कब्ज न होने दें ।
मीठी सुरंजान 20 ग्राम, सनाय 20 ग्राम, सौंफ़ 20 ग्राम, शुद्ध गंधक 20 ग्राम, मेदा लकड़ी 20 ग्राम, छोटी हरड़ 20 ग्राम, सेंधा नमक 20 ग्राम। इन सब को मजबूत हाथों से घोंट लें व दिन में तीन बार तीन-तीन ग्राम गर्म पानी से लीजिये।
लौहभस्म 20 ग्राम, रस सिंदूर 20 ग्राम, विषतिंदुक बटी 10 ग्राम, त्रिकटु चूर्ण 20 ग्राम इन सबको अदरक के रस के साथ घोंट कर 250 मिलीग्राम के वजन की गोलियां बना लीजिये और दो-दो गोली दिन में तीन बार गर्म पानी से लीजिये।
दवा खाली पेट न लें, बासी भोजन और बाजारू आहार हरगिज न खाएं। कोक पेप्सी बिलकुल न पिएं। तीन माह तक इस उपचार को लगातार ले लेने से आपकी समस्या स्थायी तौर पर खत्म हो जाएगी। लाभ भी आपको मात्र तीन दिन में ही दिखने लगेगा।


*source- rajiv dixit ji and internet.