भगवान् शिव और शंकर में क्या अंतर है ?
क्या शिव और शंकर एक ही हैं ? या एक ही शरीर के दो रूप हैं या एक ही भगवन के दो अलग अलग नाम हैं आखिर क्यों हम कभी शिव कभी शंकर या कभी भोलेनाथ आदी नामो से एक ही भगवान् को पूजते हैं ?
कई लोगों का प्रश्न होता है जो लोग जानने के इच्छुक हैं आज उनके लिए मैं आपलोगो के सामने कुछ विचार रख रहा हूँ आशा करता हूँ की आपको अंतर समझ में आजायेगा।
भगवान् शिव

शास्त्रों के अनुसार भगवान् शिव का निवास स्थान कैलाश पर्वत हैं मूल रूप से भगवान् शिव एक योगी हैं जिन्होंने योग जरिये अनंत एवं अपार ज्ञान शक्ति प्राप्त कर ली है । भगवान् शिव बर्फ से ढके हुए अत्यंत ठन्डे कैलाश पर्वत में रहते हैं और जिन्होंने वैराग्य धारण किया हुआ है अर्थात जिनको इस दुनिया से कोई मतलब नहीं है केवल योग में विलीन रहने वाले योगी हैं । इस मंत्र में शिव जी के रूप के बारे में जानने को भी मिलता है ।
कर्पूरगौरं करुणावतारम
संसारसारम् भुजगेन्द्रहारम् ।
सदावसन्तं हृदयारविन्दे
भवं भवानीसहितं नमामि ॥
कर्पूरगौरं करुणावतारम अर्थात शिव जी का जो शरीर है उसका रंग कपूर की तरह सफ़ेद है ।
भगवान् शंकर
जब शिव जी संसार त्याग कर कैलाश निवासी हो गए और जगत कल्याण के लिए उनकी जरुरत पड़ी तो देवी गौरी ने उनको योगी से भोगी बनाया और कैलाश पर्वत से काशी तक लेके आयी जहाँ वो शंकर कहलाये और वहां से उनके पारिवारिक जीवन की शुरुआत हुयी । तभी से हम दोनों को गौरी-शंकर के नाम से जानते हैं ।

स्रोत: इन्टरनेट
क्या शिव और शंकर एक ही हैं ? या एक ही शरीर के दो रूप हैं या एक ही भगवन के दो अलग अलग नाम हैं आखिर क्यों हम कभी शिव कभी शंकर या कभी भोलेनाथ आदी नामो से एक ही भगवान् को पूजते हैं ?
कई लोगों का प्रश्न होता है जो लोग जानने के इच्छुक हैं आज उनके लिए मैं आपलोगो के सामने कुछ विचार रख रहा हूँ आशा करता हूँ की आपको अंतर समझ में आजायेगा।
भगवान् शिव

शास्त्रों के अनुसार भगवान् शिव का निवास स्थान कैलाश पर्वत हैं मूल रूप से भगवान् शिव एक योगी हैं जिन्होंने योग जरिये अनंत एवं अपार ज्ञान शक्ति प्राप्त कर ली है । भगवान् शिव बर्फ से ढके हुए अत्यंत ठन्डे कैलाश पर्वत में रहते हैं और जिन्होंने वैराग्य धारण किया हुआ है अर्थात जिनको इस दुनिया से कोई मतलब नहीं है केवल योग में विलीन रहने वाले योगी हैं । इस मंत्र में शिव जी के रूप के बारे में जानने को भी मिलता है ।
कर्पूरगौरं करुणावतारम
संसारसारम् भुजगेन्द्रहारम् ।
सदावसन्तं हृदयारविन्दे
भवं भवानीसहितं नमामि ॥
कर्पूरगौरं करुणावतारम अर्थात शिव जी का जो शरीर है उसका रंग कपूर की तरह सफ़ेद है ।
भगवान् शंकर
जब शिव जी संसार त्याग कर कैलाश निवासी हो गए और जगत कल्याण के लिए उनकी जरुरत पड़ी तो देवी गौरी ने उनको योगी से भोगी बनाया और कैलाश पर्वत से काशी तक लेके आयी जहाँ वो शंकर कहलाये और वहां से उनके पारिवारिक जीवन की शुरुआत हुयी । तभी से हम दोनों को गौरी-शंकर के नाम से जानते हैं ।

स्रोत: इन्टरनेट
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