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Tuesday 21 April 2015

SINUS

साइनस (SINUS)

साइनस नाक का एक रोग है। आयुर्वेद में इसे प्रतिश्याय नाम से जाना जाता है। सर्दी के मौसम में नाकबंद होनासिर में दर्द होनाआधे सिर में बहुत तेज दर्द होनानाक से पानी गिरना इस रोग के लक्षण हैं।इसमें रोगी को हल्का बुखारआंखों में पलकों के ऊपर या दोनों किनारों पर दर्द रहता है।
तनावनिराशा के साथ ही चेहरे पर सूजन  जाती है। इसके मरीज की नाक और गले में कफ जमतारहता है। इस रोग से ग्रसित व्यक्ति धूल और धुवां बर्दाश्त नहीं कर सकता। साइनस ही आगे चलकरअस्थमादमा जैसी गंभीर बीमारियों में भी बदल सकता है। इससे गंभीर संक्रमण हो सकता है।
क्या होता है साइनस रोग : साइनस में नाक तो अवरूद्ध होती ही हैसाथ ही नाक में कफ आदि का बहावअधिक मात्रा में होता है। भारतीय वैज्ञानिक सुश्रुत एवं चरक के अनुसार चिकित्सा  करने से सभी तरहके साइनस रोग आगे जाकर 'दुष्ट प्रतिश्यायमें बदल जाते हैं और इससे अन्य रोग भी जन्म ले लेते हैं।जिस तरह मॉर्डन मेडिकल साइंस ने साइनुसाइटिस को क्रोनिक और एक्यूट दो तरह का माना है। आयुर्वेदमें भी प्रतिश्याय को नव प्रतिश्याय 'एक्यूट साइनुसाइटिसऔर पक्व प्रतिश्याय 'क्रोनिक साइनुसाइटिस'के नाम से जाना जाता है।



आम धारणा यह है कि इसरोग में नाक के अंदर कीहड्डी का बढ़ जाती है यातिरछा हो जाती है जिसकेकारण श्वास लेने में रुकावटआती है। ऐसे मरीज को जबभी ठंडी हवा या धूलधुवां उसहड्डी पर टकराता है तोव्यक्ति परेशान हो जाता है।
चिकित्सकों अनुसार साइनसमानव शरीर की खोपड़ी मेंहवा भरी हुई कैविटी होती हैंजो हमारे सिर को हल्कापन श्वास वाली हवा लाने मेंमदद करती है। श्वास लेने में अंदर आने वाली हवा इस थैली से होकर फेफड़ों तक जाती है। इस थैली मेंहवा के साथ आई गंदगी यानी धूल और दूसरे तरह की गंदगियों को रोकती है और बाहर फेंक दी जाती है।साइनस का मार्ग जब रुक जाता है अर्थात बलगम निकलने का मार्ग रुकता है तो 'साइनोसाइटिसनामकबीमारी हो सकती है।
वास्तव में साइनस के संक्रमण होने पर साइनस की झिल्ली में सूजन  जाती है। सूजन के कारण हवाकी जगह साइनस में मवाद या बलगम आदि भर जाता हैजिससे साइनस बंद हो जाते हैं। इस वजह सेमाथे परगालों  ऊपर के जबाड़े में दर्द होने लगता है।
इसका उपाय : इस रोग में सर्दी बनी रहती है और कुछ लोग इसे सामान्य सर्दी समझ कर इसका इलाजनहीं करवाते हैं। सर्दी तो सामान्यतः तीन-चार दिनों में ठीक हो जाती हैलेकिन इसके बाद भी इसकासंक्रमण जारी रहता है। अगर वक्त रहते इसका इलाज  कराया जाए तो ऑपरेशन कराना जरूरी होजाता है। लेकिन इसकी रोकथाम के लिए योग में क्रिया और प्राणायाम को सबसे कारगर माना गया है।नियमित क्रिया और प्राणायाम से बहुत से रोगियों को 99 प्रतिशत लाभ मिला है।
इस रोग में बहुत से लोग स्टीम या सिकाई का प्रयोग करते हैं और कुछ लोग प्रतिदिन विशेष प्राकृतिकचिकित्सा अनुसरा नाक की सफाई करते हैं। योग से यह दोनों की कार्य संपन्न होते हैं। प्राणायाम जहांस्टीम का कार्य करता है वही जलनेती और सूत्रनेती से नाक की सफाई हो जाती है। प्रतिदिन अनुलोमविलोम के बाद पांच मिनट का ध्यान करें। जब तक यह करते रहेंगे साइनस से आप कभी भी परेशान नहींहोंगे।
शुद्ध भोजन से ज्यादा जरूरी है शुद्ध जल और सबसे ज्यादा जरूरी है शुद्ध वायु। साइनस एक गंभीर रोग है।यह नाक का इंफेक्शन है। इससे जहां नाक प्रभावित होती है वहींफेंफड़ेआंखकान और मस्तिष्क भीप्रभावित होता है इस इंफेक्शन के फैलने से उक्त सभी अंग कमजोर होते जाते हैं।
योग पैकेज : अतशुद्ध वायु के लिए सभी तरह के उपाय जरूर करें और फिर क्रियाओं में सूत्रनेती और जलनेतीप्राणायाम में अनुलोम-विलोम और भ्रामरीआसनों में सिंहासन और ब्रह्ममुद्रा करें। असके अलावामुंह और नाक के लिए बनाए गए अंगसंचालन जरूर करें। कुछ योग हस्त मुद्राएं भी इस रोग मेंलाभदायक सिद्ध हो सकती है। प्राणायाम और ब्रह्ममुद्रा नियमित करें।

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